Thursday, April 25, 2013

शारदा चिट फंड ने अस्सी के दशक की यादें कर दी ताजा

कोलकाता।। पश्चिम बंगाल सरकार ने चिट फंड कंपनी शारदा ग्रुप के डूब जाने से हुए नुकसान को कम करने के लिए कदम उठाए हैं, वहीं इस घटना ने अस्सी के दशक के शुरुआत में संचयिता इनवेस्टमेंट्स के धराशायी होने की यादें ताजा कर दी हैं जब कई निवेशकों और एजेंटों ने आत्महत्या कर ली थी।

संचयिता ने अपने कार्यालयों पर छापा पड़ने से पहले 1980 के दशक में 120 करोड़ रुपए से अधिक जमा किए थे और इसके बंद होने पर महज कुछ लोगों को बहुत कम मात्रा में रकम मिल पाई थी।

कंपनी के दो प्रमुख प्रवर्तकों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें से शंभू मुखर्जी ने आत्महत्या कर ली थी और स्वप्न गुहा को अदालत ने दिवालिया घोषित कर दिया। एक अन्य आरोपी बिहारीलाल मोरारका अभी तक फरार है।

निवेशकों के और एजेंटों के बारे में आत्महत्या की कई खबरें सुनने को मिली और कुछ लोग 30 साल बाद अभी तक अदालत से आस लगाए बैठे हैं।

पश्चिम बंगाल सरकार ने एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित करने और शारदा ग्रुप के ध्वस्त होने के बाद चिट फंड कंपनियों की एक उच्च स्तरीय जांच की घोषणा की है।

दरअसल, पूंजी बाजार नियामक सेबी ने नियमों का उल्लंघन करने पर चिट फंड कंपनियों पर नकेल कसना शुरू किया जिससे ग्रुप के वित्त पर दबाव पड़ा और शारदा ग्रुप का चिट फंड का बुलबुला फूट गया।

कंपनी मामलों के केंद्रीय मंत्री ने शारदा ग्रुप और इस तरह की कंपनियों पर लगाए गए वित्तीय अनियमितता और रकम भुगतान करने में नाकाम रहने के आरोपों की जांच शुरू कर दी।

शारदा ग्रुप से जुड़े तीन लोगों के आत्महत्या कर लेने के बाद राज्य सरकार हरकत में आई। ये लोग या तो निवेशक थे या फिर ग्रुप के एजेंट थे।

दरअसल, शारदा ग्रुप के अध्यक्ष सुदिप्तो सेन के फरार होने के बाद राज्य के कई हिस्सों में प्रदर्शन शुरू हो गया था। तृणमूल कांग्रेस अपने सांसद कुनाल घोष के इस्तीफे की मांग के बाद फिलहाल बचाव की मुद्रा में है। वह शारदा ग्रुप के मीडिया विभाग के समूह मुख्य कार्यकारी अधिकारी थे।

ग्रुप ने बंगाली, अंग्रेजी, हिन्दी और उर्दू के कई अखबारों का अधिग्रहण किया था और कई समाचार और मनोरंजन चैनल शुरू किए थे। राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि उनकी तृणमूल कांग्रेस सरकार पारदर्शी है और कानून अपना काम करेगा।

राज्य की विपक्षी माकपा और कांग्रेस आरोप लगा रही है कि तृणमूल कांग्रेस चिट फंड पर खामोश है वहीं, ममता ने कहा है कि चूंकि चिट फंड का काम केंद्रीय कानून से विनियमित होता है इसलिए इस मामले में केंद्र सरकार का दायित्व बनता है।

ममता ने पूर्व की वाम मोर्चा सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा, ''ऐसा वाम शासन के दौरान हुआ कि राज्य में चिट फंड का कारोबार कुकुरमुत्ते की तरह उग गया। वे क्या कर रहे थे?''

इस पर, पूर्व वित्त मंत्री एवं माकपा नेता असीम दासगुप्ता ने कहा, ''हमने शारदा ग्रुप और कुछ अन्य चिट फंड कंपनियों के खिलाफ कुछ कार्रवाई शुरू की थी।'' उन्होंने आरोप लगाया कि तृणमूल सरकार शुरू से ही इनके खिलाफ सुस्त रवैया अपनाए हुए है।

प्रख्यात अर्थशास्त्री दासगुप्ता के मुताबिक पिछले कुछ साल से शारदा ग्रुप सहित करीब 15 बड़ी चिट फंड कंपनियां राज्य में चल रही हैं। एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा कि यह मुद्दा तृणमूल के ग्रामीण वोट बैंक पर असर डाल सकता है।
साभार
भाषा | Apr 23, 2013, 06.30PM IST
http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/19696323.cms

No comments:

Post a Comment