नई दिल्ली।। कॉम्पिटिशन कमिशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) की इन्वेस्टिगेटिव यूनिट ने मारुति सुजुकी के अपने कंपोनेंट सप्लायर्स के साथ ऐग्रिमेंट्स को ऐंटि-कॉम्पिटिटिव पाया है। सीसीआई का कहना है कि कंपनी ने अपने स्पेयर पार्ट्स की सप्लाई को कम करने के साथ ही इनके लिए महंगे दाम वसूलकर अपनी दबदबे वाली स्थिति का गलत इस्तेमाल किया है।
इस घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने बताया कि अगर सीसीआई डायरेक्टर जनरल (इनवेस्टिगेशंस) की जांच के नतीजों को सही ठहराता है तो मारुति पर 3,400 करोड़ रुपए तक का अधिकतम जुर्माना लग सकता है। मारुति को कॉम्पिटिशन कानून के सेक्शन 3 (4) और 4 का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया है। इस मामले की अंतिम सुनवाई 25 अप्रैल को होनी है।
मारुति के प्रवक्ता ने इस बारे में कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उनका कहना था, 'हम टिप्पणी नहीं करेंगे क्योंकि यह मामला अदालत में है।' मारुति के खिलाफ यह मामला संभावित ऐंटि-कॉम्पिटिटिव कदम उठाने को लेकर ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री की जांच का हिस्सा है।
इस मामले में दोषी पाए जाने पर जुर्माना सालाना टर्नओवर का अधिकतम 10 फीसदी तक हो सकता है। इसके बाद ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को स्पेयर पार्ट्स बेचने के अपनी तरीके में पूरी तरह बदलाव करना होगा। मारुति के अलावा 16 और कार कंपनियों को अपनी स्पेयर पार्ट्स मार्केट पर कंट्रोल करने के तरीके की वजह से ऐंटि-कॉम्पिटिटिव कदम उठाने का दोषी पाया गया है।
मारुति सुजुकी के खिलाफ की गई जांच की रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी ने अपने ऑरिजिनल इक्विपमेंट सप्लायर्स (ओईएम) के साथ जो एक्सक्लूसिव कॉन्ट्रैक्ट्स किए हैं, वे इन सप्लायर्स को किसी और के स्पेयर पाटर्स बेचने से रोकते हैं, जो कॉम्पिटिशन ऐक्ट के सेक्शन 3 (4) का स्पष्ट उल्लंघन है।
मारुति ने अपनी कारों में खराबी की जांच के लिए जरूरी टूल्स की सप्लाई भी केवल अपने ऑथराइज्ड सर्विस स्टेशनों तक सीमित रखी है और इस वजह से ग्राहक किसी अन्य सर्विस स्टेशन से अपनी कार रिपेयर नहीं करा सकते।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह ऐक्ट के सेक्शन 4 के उल्लंघन का मामला है। मारुति देश की उन 4 कार कंपनियों में शामिल है, जो ओपन मार्केट में अपने वीइकल्स के स्पेयर पार्ट्स सप्लाई करती हैं, लेकिन ये पार्ट्स कंपनी के अपने चैनलों के जरिए बेचे जाते हैं और इन्हें कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स सीधे ओपन मार्केट में सप्लाई नहीं कर सकते।
साभार:
इकनॉमिक टाइम्स | Apr 8, 2013, 12.21PM IST
आनंदिता सिंह मनकोटिया
http://navbharattimes.indiatimes.com/business/business-news/maruti-suzuki-faces-rs-3400-crore-rap-on-costly-spares/businessarticleshow/19430040.cms
इस घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने बताया कि अगर सीसीआई डायरेक्टर जनरल (इनवेस्टिगेशंस) की जांच के नतीजों को सही ठहराता है तो मारुति पर 3,400 करोड़ रुपए तक का अधिकतम जुर्माना लग सकता है। मारुति को कॉम्पिटिशन कानून के सेक्शन 3 (4) और 4 का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया है। इस मामले की अंतिम सुनवाई 25 अप्रैल को होनी है।
मारुति के प्रवक्ता ने इस बारे में कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उनका कहना था, 'हम टिप्पणी नहीं करेंगे क्योंकि यह मामला अदालत में है।' मारुति के खिलाफ यह मामला संभावित ऐंटि-कॉम्पिटिटिव कदम उठाने को लेकर ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री की जांच का हिस्सा है।
इस मामले में दोषी पाए जाने पर जुर्माना सालाना टर्नओवर का अधिकतम 10 फीसदी तक हो सकता है। इसके बाद ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को स्पेयर पार्ट्स बेचने के अपनी तरीके में पूरी तरह बदलाव करना होगा। मारुति के अलावा 16 और कार कंपनियों को अपनी स्पेयर पार्ट्स मार्केट पर कंट्रोल करने के तरीके की वजह से ऐंटि-कॉम्पिटिटिव कदम उठाने का दोषी पाया गया है।
मारुति सुजुकी के खिलाफ की गई जांच की रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी ने अपने ऑरिजिनल इक्विपमेंट सप्लायर्स (ओईएम) के साथ जो एक्सक्लूसिव कॉन्ट्रैक्ट्स किए हैं, वे इन सप्लायर्स को किसी और के स्पेयर पाटर्स बेचने से रोकते हैं, जो कॉम्पिटिशन ऐक्ट के सेक्शन 3 (4) का स्पष्ट उल्लंघन है।
मारुति ने अपनी कारों में खराबी की जांच के लिए जरूरी टूल्स की सप्लाई भी केवल अपने ऑथराइज्ड सर्विस स्टेशनों तक सीमित रखी है और इस वजह से ग्राहक किसी अन्य सर्विस स्टेशन से अपनी कार रिपेयर नहीं करा सकते।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह ऐक्ट के सेक्शन 4 के उल्लंघन का मामला है। मारुति देश की उन 4 कार कंपनियों में शामिल है, जो ओपन मार्केट में अपने वीइकल्स के स्पेयर पार्ट्स सप्लाई करती हैं, लेकिन ये पार्ट्स कंपनी के अपने चैनलों के जरिए बेचे जाते हैं और इन्हें कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स सीधे ओपन मार्केट में सप्लाई नहीं कर सकते।
साभार:
इकनॉमिक टाइम्स | Apr 8, 2013, 12.21PM IST
आनंदिता सिंह मनकोटिया
http://navbharattimes.indiatimes.com/business/business-news/maruti-suzuki-faces-rs-3400-crore-rap-on-costly-spares/businessarticleshow/19430040.cms
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