चिटफंड मामले के मुख्य आरोपी सुदीप्तो बनर्जी सहित 3 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। कोलकत्ता पुलिस बाकी आरोपारियों की पहचान करने के लिए श्रीनगर जा रही है। दिलचस्प है कि शारदा चिट फंड मामले की जांच एसआईटी कर रही है। शारदा चिट फंड मामले को लेकर कंपनियों में निवेश करने वाले लोग अब सड़कों पर उतर आए हैं। वहीं, पश्चिम बंगाल सरकार की मुखिया ममता बनर्जी भी प्रदेश में बढ़ रही चिटफंड ठगी को लेकर काफी नाराज हैं। सरकार जल्द ही इस संबंध में कठोर नियम के रूप में कोई बिल भी ला सकती है।
दिलचस्प है कि शारदा ग्रुप ने पश्चिम बंगाल में 20 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी की है। हजारों निवेशकों ने इस कंपनी में पैसा लगाया था। इस कंपनी में पैसा लगाने वाली एक महिला कंपनी के भागने के बाद खुदखुशी तक करने की कोशिश कर चुकी है।
आपको बताते चलें ये चिटफंड कंपनियां छोटे निवेशकों को अलग-अलग ऑफरों के तहत 15 महीने में रकम दोगुनी और 25 साल में 34 गुनी रकम करने तक का वादा करती हैं।
सेबी ने शुरू की जांच
शारदा समूह द्वारा कथित तौर पर धोखाधड़ी से चलाई जा रही निवेश योजना के खिलाफ जनाक्रोश के बीच भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इस कंपनी धन जुटाने की गतिविधियों की जांच शुरू कर दी है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पूंजी बाजार नियामक इस बात की जांच कर रहा है कि जनता से धन जुटाने के दौरान क्या सामूहिक निवेश योजना (सीआईएस) नियमन का उल्लंघन किया गया।
सूत्रों ने बताया कि सेबी ने ताजा दौर की यह जांच उसे कुछ शिकायतें मिलने के बाद शुरू की है। नियामक समूह द्वारा बिना आवश्यक मंजूरी के भारी मात्रा में धन जुटाने के मामले की जांच कर रहा है।
सीआईएस कारोबार का नियमन सेबी द्वारा किया जाता है और इस मार्ग से किसी इकाई द्वारा धन जुटाने के लिए नियामक की मंजूरी जरूरी होती है। इस तरह की योजनाओं में आम निवेशकों से धन जुटाया जाता है और इसे पहले से तय निवेश में लगाया जाता है।
सीआईएस का विनियमन तो सेबी के हाथ में है पर चिटफंड फर्में उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आतीं। चिटफंड व्यवसाय में गड़बडी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार राज्य सरकारों के पास है।
साभार
Dainikbhaskar.com | Apr 23, 2013, 19:37PM IST
http://business.bhaskar.com/article/BIZ-chit-fund-company-sharda-group-scam-4243857-NOR.html
दिलचस्प है कि शारदा ग्रुप ने पश्चिम बंगाल में 20 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी की है। हजारों निवेशकों ने इस कंपनी में पैसा लगाया था। इस कंपनी में पैसा लगाने वाली एक महिला कंपनी के भागने के बाद खुदखुशी तक करने की कोशिश कर चुकी है।
आपको बताते चलें ये चिटफंड कंपनियां छोटे निवेशकों को अलग-अलग ऑफरों के तहत 15 महीने में रकम दोगुनी और 25 साल में 34 गुनी रकम करने तक का वादा करती हैं।
सेबी ने शुरू की जांच
शारदा समूह द्वारा कथित तौर पर धोखाधड़ी से चलाई जा रही निवेश योजना के खिलाफ जनाक्रोश के बीच भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इस कंपनी धन जुटाने की गतिविधियों की जांच शुरू कर दी है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पूंजी बाजार नियामक इस बात की जांच कर रहा है कि जनता से धन जुटाने के दौरान क्या सामूहिक निवेश योजना (सीआईएस) नियमन का उल्लंघन किया गया।
सूत्रों ने बताया कि सेबी ने ताजा दौर की यह जांच उसे कुछ शिकायतें मिलने के बाद शुरू की है। नियामक समूह द्वारा बिना आवश्यक मंजूरी के भारी मात्रा में धन जुटाने के मामले की जांच कर रहा है।
सीआईएस कारोबार का नियमन सेबी द्वारा किया जाता है और इस मार्ग से किसी इकाई द्वारा धन जुटाने के लिए नियामक की मंजूरी जरूरी होती है। इस तरह की योजनाओं में आम निवेशकों से धन जुटाया जाता है और इसे पहले से तय निवेश में लगाया जाता है।
सीआईएस का विनियमन तो सेबी के हाथ में है पर चिटफंड फर्में उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आतीं। चिटफंड व्यवसाय में गड़बडी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार राज्य सरकारों के पास है।
साभार
Dainikbhaskar.com | Apr 23, 2013, 19:37PM IST
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