Sunday, May 26, 2013

यूपीए सरकार का उपहार – घूस घोटाला भ्रष्टाचार

केंद्र की सत्ता में यूपीए सरकार पिछले दस सालों से आसीन है. आम तौर पर किसी सरकार के कार्यकाल का मूल्यांकन उसकी नीतियों, कार्यक्रमों एवं उपलब्धियों के आधार पर ही किया जाता है, लेकिन केंद्र की कांग्रेस (यूपीए) सरकार के साथ ऐसा नहीं होगा, क्योंकि यह इतिहास की एक ऐसी सरकार के रूप में जानी जाएगी, जिसने लोकतंत्र को लूटतंत्र में बदल दिया. इसका मूल्यांकन घूस, घपलों एवं घोटालों के आधार पर किया जाएगा. दरअसल, ऐसा लगता है कि जनता अब बेबस है और सरकार प्रॉपर्टी डीलर बन चुकी है. यूपीए सरकार का उपहार हैं दस सालों के दौरान हुए दस महाघोटाले.

पिछले दस साल यानी भारतीय लोकतंत्र के लिए सबसे त्रासद समय. इस दौरान ऐसे-ऐसे घोटाले सामने आए, जिनके नाम और दाम अकल्पनीय थे. जल, जंगल, ज़मीन, हवा, पानी, तरंग, आकाश, पाताल यानी सब कुछ लूटा और बेचा गया. आश्चर्य की बात तो यह है कि ग़रीब किसानों के हिस्से के पैसों, पानी, ज़मीनों एवं जानवरों तक की लूट हुई. प्राकृतिक संसाधन रिश्वत और दलाली लेकर कौड़ियों के भाव बेच दिए गए. सांसद, नौकरशाह, मुख्यमंत्री, मंत्री, बेटा-बेटी, भांजा, दामाद, कॉरपोरेट घराने, दलाल, बिचौलिए सभी लूट के इस खेल में शामिल रहे. और तो और, ईमानदार माने जाने वाले प्रधानमंत्री तक पर आरोप लगे. लेकिन संसदीय परंपरा में आई गिरावट का असर तो देखिए, हर घोटाले के बाद सरकार संसद में सीना फुलाए खड़ी रही और विपक्ष रस्मी तौर पर सिवाय शोर-शराबे के और कुछ भी नहीं कर पाया, वह भी स़िर्फ संसद के भीतर. वैसे, घपलों-घोटालों के अलावा, इस सरकार को एक और वजह से याद रखा जाएगा और वह यह कि आज़ादी के बाद पहली बार किसी सरकार ने संवैधानिक संस्थाओं को मज़ाक बनाकर रख दिया, चाहे वह कैग हो या अदालत. 64 सालों के भारतीय लोकतंत्र और संसदीय परंपराओं का ताना-बाना पिछले दस सालों में तार-तार होता नज़र आया. दरअसल, इन दस सालों के शासन ने व्यवस्था नामक चीज का अस्तित्व ही बिल्कुल समाप्त कर दिया है. विधायिका एवं कार्यपालिका तो मानो लकवाग्रस्त हुई ही, न्यायपालिका का इक़बाल भी कई बार खतरे में पड़ता दिखाई दिया. बहरहाल, एक नज़र डालते हैं, पिछले दस सालों के दौरान हुए दस महाघोटालों पर.

सबसे पहले बात कोयला घोटाले  की. जब चौथी दुनिया ने सबसे पहले बताया कि इस देश में 26 लाख करोड़ रुपये का कोयला महाघोटाला हुआ है, तब शायद सहसा किसी को यक़ीन ही न हुआ हो. चौथी दुनिया में छपी यह रिपोर्ट किसी अनुमान पर आधारित नहीं थी, बल्कि संसद की एक स्थायी समिति की रिपोर्ट पर आधारित थी. बाद में कैग ने अपनी रिपोर्ट दी और बताया कि कैसे कोल ब्लॉक आवंटन में 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुक़सान हुआ है. कैग ने सीधे-सीधे यूपीए सरकार पर सवाल उठाए और बताया कि कोल ब्लॉक आवंटन में सरकार ने मनमानी की है और ऐसे-ऐसे लोगों को कोल ब्लॉक आवंटित कर दिए गए, जिन्हें इस फील्ड का कोई अनुभव ही नहीं था. संसद में पेश कैग की रिपोर्ट में जुलाई 2004 से हुए 142 कोल ब्लॉक आवंटन से 1.86 लाख करोड़ रुपये के नुक़सान का अनुमान लगाया गया. रिपोर्ट में यह कहा गया कि 2004 से 2009 के बीच कोयला खदानों के ठेके देने में न केवल अनियमिताएं बरती गईं, बल्कि बहुत ही कम दामों पर और बिना नीलामी किए ही कोल ब्लॉक आवंटित किए गए. इस पूरे प्रकरण में सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि इस घोटाले में प्रधानमंत्री का नाम भी आया. उन पर यह आरोप था कि जब वह कोयला मंत्रालय संभाल रहे थे, तब भी कोल ब्लॉक आवंटित किए गए. ज़ाहिर है, कोयला मंत्री रहते हुए उनकी भी ज़िम्मेदारी इस घटना को लेकर बनती थी. बहरहाल, जब सुप्रीम कोर्ट ने ख़ुद इस मामले में दिलचस्पी दिखाई और मामले को अपने हाथ में लिया, तब जाकर कार्रवाई शुरू हुई और कुछ कोल ब्लॉक निरस्त किए गए. फिलहाल मामला अदालत में है. अंतिम फैसला आना अभी बाकी ज़रूर है, लेकिन राजनीतिक तौर पर एक फैसला पहले ही हो चुका है कि चाहे जो हो, लेकिन प्रधानमंत्री की इस सबके लिए कोई ज़िम्मेदारी नहीं बनती.

टू-जी स्पेक्ट्रम घोटाला स्वयं में एक अद्भुत घोटाला है. इसमें क्या बेचा गया और क्या ख़रीदा गया, यह आम आदमी को समझ में नहीं आ सकता. भला कोई सोच सकता है कि हवा में तैरती तरंगों में भी अरबों रुपये का घोटाला हो सकता है! लेकिन अफसोस! ऐसा कारनामा भी केंद्र की यूपीए सरकार और उसके मंत्री ने कर दिखाया. 2008 में कैग की रिपोर्ट आई, जिसके मुताबिक़, संचार मंत्री ए राजा के रहते बिना नीलामी के टू-जी स्पेक्ट्रम के आवंटन में देश को 1.76 लाख करोड़ रुपये का नुक़सान हुआ. 2001 की पुरानी क़ीमत पर ही स्पेक्ट्रम का आवंटन कर दिया गया. नीलामी की जगह पहले आओ-पहले पाओ की नीति अपनाई गई. दरअसल, इस आवंटन में 122 लाइसेंस जारी किए गए थे, जिनमें से 85 लाइसेंस ऐसी कंपनियों को दिए गए थे, जो इसके लिए आवश्यक शर्तें भी पूरी नहीं करती थीं. इस पूरे प्रकरण में संचार मंत्री ए राजा, यूनीटेक के संजय चंद्रा, स्वान के शाहिद बलवा, विनोद गोयनका, रिलायंस एडीएजी के हरि नायर, गौतम दोषी एवं सुरेंद्र पिपारा, डीएमके सांसद कनिमोझी, करीम मोरानी, शरद कुमार और आसिफ बलवा के नाम साजिशकर्ताओं के तौर पर सामने आए. ये सभी गिरफ्तार हुए और जेल में भी रहे. बाद में राजा और कनिमोझी को जमानत भी मिल गई. फिलहाल मामला अदालत में है. हालांकि बाद में ए राजा ने ख़ुद भी कहा और आरटीआई के माध्यम से भी यह जानकारी सामने आई कि टूजी स्पेक्ट्रम आवंटन में अकेले ए राजा ही दोषी नहीं हैं. आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक़, प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को इस आवंटन के बारे में जानकारी थी और उनसे राय भी ली गई थी. ख़ुद राजा ने भी कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इस बारे में बताया जा चुका था. यह एक ऐसा घोटाला था, जिसमें पत्रकारों पर भी आंच आई. कॉरपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया का भी इस पूरे प्रकरण में एक अहम रोल रहा, जिन्होंने अपने काम के लिए कई नामी पत्रकारों का इस्तेमाल किया.

टू-जी स्पेक्ट्रम के बाद एक और घोटाला सामने आया. यह था एस बैंड स्पेक्ट्रम घोटाला. देश की सबसे महत्वपूर्ण सरकारी संस्था, जिसकी देखरेख की सीधी ज़िम्मेदारी प्रधानमंत्री की होती है, यानी यह घोटाला इसरो में सामने आया. एक अनुमान के मुताबिक, इस घोटाले से सरकार को 2 लाख करोड़ रुपये का घाटा हुआ. इसरो ने देवास मल्टीमीडिया को कम दामों पर एस बैंड स्पेक्ट्रम देने का समझौता किया था. यह आवंटन भी बिना नीलामी किए ही किया गया. देवास कंपनी इसरो में ही उच्चाधिकारी रहे एम जी चंद्रशेखर की है. इसरो सीधे-सीधे प्रधानमंत्री के अधीन आता है. कैग ने 2005 में हुए इस समझौते की जांच शुरू कर दी है. इसरो की शाखा एंट्रिक्स लिमिटेड ने देवास मल्टीमीडिया के साथ क़रीब 600 करोड़ रुपये में स्पेक्ट्रम आवंटन का समझौता किया था. इस क़रार के ज़रिए एस बैंड का आवंटन पहली बार निजी क्षेत्र के लिए किया गया था. इसके लिए न केवल इसरो के नियमों की अनदेखी की गई, बल्कि इसमें प्रधानमंत्री कार्यालय भी संदेह के घेरे में आया. भारतीय राजनीति में जब बोफोर्स घोटाला सामने आया था, तब कोहराम मच गया था. आज की नज़र से देखें, तो वह महज़ 65 करोड़ रुपये की दलाली का मामला था, लेकिन उस घोटाले की गूंज आज भी भारतीय राजनीति में रह-रहकर सुनाई देती रहती है. आज के घोटालों में तो गबन की रकम के आगे इतने शून्य लग चुके हैं कि आम आदमी शायद ही उसे गिन पाए.

यूपीए सरकार द्वारा लगातार किए जा रहे घोटालों में से एक है राष्ट्रमंडल खेल घोटाला. एक अनुमान के मुताबिक़, यह घोटाला क़रीब 80 हज़ार करोड़ रुपये का है. इसमें सीडब्ल्यूजी के अध्यक्ष एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेश कलमाड़ी और उनके सहयोगियों के नाम सामने आए. साथ ही इसमें दिल्ली की कांग्रेस सरकार की भागीदारी भी सामने आई. इस खेल के लिए ऐसी-ऐसी ख़रीदारी हुई, जिसे सुनकर कोई भी दंग रह जाएगा. कैग की रिपोर्ट के  मुताबिक़, 52 हज़ार करोड़ रुपये की इस योजना में ज़बरदस्त धांधली की गई थी. खेल में लूट का खेल यहीं पर नहीं रुकता. एक और खेल घोटाला है, आईपीएल घोटाला. जेंटलमैन का खेल माने जाने वाले क्रिकेट में भी घोटालों का एक नया सिलसिला चल पड़ा है. इंडियन प्रीमियर लीग असल में फिक्सिंग लीग बन गया है. आईपीएल-3 के  दौरान इस खेल से जुड़े विवाद सामने आए, जिसमें केंद्रीय मंत्री शशि थरूर को अपने पद से जाना पड़ा. आईपीएल प्रमुख ललित मोदी को पद तो छोड़ना ही पड़ा, साथ ही वह अब भी देश से बाहर रहने के लिए मजबूर हैं. मामले की जांच अभी भी चल रही है. इस खेल में काला धन लगे होने की बात सामने आई. कोच्चि की टीम पर मालिकाना हक का विवाद इतना गहराया कि केंद्रीय मंत्री शशि थरूर को इस्ती़फा तक देना पड़ा और इस मामले में उनकी मित्र एवं अब पत्नी सुनंदा पुष्कर भी सवालों के घेरे में आ गईं. आईपीएल में क़रीब 1500 करोड़ रुपये से भी अधिक के घोटाले की आशंका है.

कोयला, तरंग, खेल आदि की बात तो रहने ही दीजिए. सरकार की संवेदनहीनता देखिए कि उसने देश के ग़रीब किसानों के हिस्से में भी सेंध लगाने से गुरेज नहीं किया और नतीजा हमारे सामने है, किसान कर्ज माफी घोटाला. कांग्रेस के वर्तमान उपाध्यक्ष एवं उत्तराधिकारी राहुल गांधी की पहल पर शुरू की गई किसान क़र्ज़ माफी योजना की रकम भी घोटालेबाज़ों ने हड़प ली. कैग की रिपोर्ट के मुताबिक़, किसान क़र्ज़ माफी योजना के लिए जारी 52 हज़ार करोड़ रुपये की रकम में ज़बरदस्त अनियमितताएं सामने आई हैं. क़र्ज़ माफी के लिए न तो असल ज़रूरतमंदों की ठीक से पहचान की गई और न ही पात्र लोगों को इस योजना का फायदा मिला. उल्टे अपात्र लोगों को फायदा पहुंचाया गया. कैग के मुताबिक़, 9 राज्यों में क़रीब 13 फीसद सही खातों को लाभ नहीं मिला और जिन 80,277 खातों को फायदा मिला, उनमें 8.5 फीसद इसके लायक़ नहीं थे. 22 फीसद मामलों में योजना को सही ढंग से लागू नहीं किया गया. 34 फीसद मामलों में किसानों को क़र्ज़ माफी का प्रमाणपत्र ही नहीं दिया गया.

एक ओर जहां विदर्भ में आज भी ऐतिहासिक सूखा पड़ा हुआ है, वहीं इस राज्य में सिंचाई परियोजना में हज़ारों करोड़ रुपये का घोटाला, यानी महाराष्ट्र सिंचाई घोटाला सामने आ चुका है. उपमुख्यमंत्री अजीत पवार को इस्ती़फा देना पड़ा और फिर नाटकीय ढंग से उनकी वापसी भी हो गई. राज्य सरकार की वार्षिक आर्थिक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक़, पिछले दस सालों में राज्य के सिंचित क्षेत्र में महज़ 0.1 फीसद वृद्धि हुई. जबकि इस दौरान प्रधानमंत्री ने विदर्भ के किसानों के लिए एक विशेष पैकेज दिया था, जिसमें सिंचाई परियोजनाएं प्रमुख थीं. पिछले दस सालों में महाराष्ट्र में सिंचाई की मद में 70,000 करोड़ रुपये ख़र्च हुए. बावजूद इसके, महज़ 0.1 फीसद सिंचित भूमि और विदर्भ का मौजूदा सूखा यह साबित करने के लिए पर्याप्त है कि वे 70 हज़ार करोड़ रुपये भी घोटालेबाज़ों की जेब में ही गए. पिछले दस सालों में सिंचाई के लिए दिए गए पानी में से क़रीब 189.6 करोड़ घनमीटर पानी ग़ैर-सिंचाई कार्यों के लिए दे दिया गया. राज्य सरकार द्वारा जारी श्वेतपत्र के अनुसार, इस पानी से 2.85 लाख हेक्टेयर खेत की सिंचाई हो सकती थी. ज़ाहिर है, यह पानी उद्योगों को दे दिया गया. इसमें मुख्य रूप से विदर्भ के हिस्से का पानी भी शामिल है, जो उद्योग जगत के हिस्से में चला गया. नतीजा, आज हम सब देख रहे हैं कि विदर्भ के किसानों की हालत क्या है. महाराष्ट्र की कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन सरकार और उसके कद्दावर नेताओं को इस बात की बिल्कुल चिंता नहीं है कि आ़खिर विदर्भ के किसानों का क्या होगा. उल्टे शर्म की बात तो यह है कि शरद पवार के भतीजे एवं राज्य के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार इस मसले पर आपत्तिजनक टिप्पणी करते हैं कि अगर नहर में पानी नहीं है, तो क्या मैं उसमें पेशाब करके पानी ले आऊं.

यूपीए सरकार ने सुरक्षा संबंधी मामलों में भी घोटालों का एक नया रिकॉर्ड बनाया है. मसलन, एनटीआरओ घोटाला. एनटीआरओ, यानी नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन. यह एक गोपनीय सरकारी संस्था है. इसमें भी एक ख़रीदारी को लेकर क़रीब 1000 करोड़ रुपये की अनियमितता का मामला सामने आया. यह घोटाला एक सुरक्षा सौदे में हुआ था. सरकार ने एनटीआरओ के  लिए 8 हज़ार करोड़ रुपये का बजट बनाया था, जिसके ऑडिट का अधिकार किसी को भी नहीं था. और जब एनटीआरओ का ऑडिट कराया गया, तब पता चला कि उसमें 1000 करोड़ रुपये का घोटाला हो चुका है. यह घोटाला अनमैन्ड एरियल व्हेकिल की ख़रीद में हुआ था. एनटीआरओ ने मानव रहित वायुयान ख़रीदने के लिए 2006 में इजरायल से एक सौदा किया था. उक्त सारे वायुयान बिना परीक्षण के ही ख़रीद लिए गए थे और जब उनका भारत में टेस्ट हुआ, तो वे फेल हो गए. देश के सुरक्षा तंत्र में भी घोटाला इस बात का संकेत है कि इस सरकार को देश की सुरक्षा की भी चिंता नहीं है.

स्कॉर्पियन पनडुब्बी एवं टाट्रा ट्रक सौदे में दलाली यह बताती है कि इस देश में होने वाला कोई भी रक्षा सौदा दलालों के बिना नहीं होता, यानी इस देश की सुरक्षा दलालों के भरोसे ही चल रही है. पिछले साल कुछ दस्तावेज सामने आए, जिनके मुताबिक़, वर्ष 2000 और 2004 में क़रीब 2000 करोड़ रुपये के दो समझौते अमेरिकी नागरिक एलन एवं अभिषेक वर्मा के बीच हुए. कथित तौर पर यह पैसा अभिषेक वर्मा का था, जिसके प्रबंधन की ज़िम्मेदारी एलन की थी. एलन अमेरिका में अटॉर्नी है. 2010 में दोनों के बीच मनमुटाव हो गया, तो अभिषेक वर्मा ने एलन को पैसे वापस करने के लिए नोटिस भेजा. जब एलन ने कोई जवाब नहीं दिया, तो अभिषेक वर्मा ने अमेरिका में ही एलन के खिलाफ केस दर्ज कराया. सवाल यह है कि अभिषेक वर्मा के पास 2000 करोड़ रुपये आखिर आए कहां से? इतनी बड़ी रकम का स्रोत क्या है? क्या अभिषेक वर्मा ने इसकी जानकारी किसी टैक्स अथॉरिटी को दी है? स्कॉर्पियन सौदे में जो दस्तावेज़ सामने आए हैं, उनसे सा़फ होता है कि अभिषेक वर्मा 4 प्रतिशत दलाली की मांग कर रहा था. रक्षा सौदे की दलाली में अभिषेक वर्मा का क़द इतना बड़ा है कि दुनिया भर में किसी भी रक्षा सामग्री बेचने वाली कंपनी को मदद की ज़रूरत होती है, तो वह अभिषेक वर्मा को ही ढूंढती है, चाहे अगस्ता वेस्टलैंड को हेलिकॉप्टर सौदे में मदद चाहिए या जर्मन कंपनी आरएडी का नाम ब्लैक लिस्ट से हटवाना हो या फिर इजरायली टेलिकॉम कंपनी ईसीआई को एंटी डंपिंग शुल्क वापस कराना हो. इन सारे ग़ैर-क़ानूनी कामों के लिए कंपनियां अभिषेक वर्मा को ही तलाशती हैं. नेवी वार रूम लीक मामले में कई ई-मेल सामने आए हैं, जिनमें स्कॉर्पियन डील के 18 हज़ार करोड़ रुपये में से 4 फीसद कमीशन की बात सामने आई है. थेल्स कंपनी के सामने अभिषेक वर्मा ने ख़ुद को कांग्रेस का प्रतिनिधि बताया था. इसके अलावा, टाट्रा ट्रक की ख़रीदारी में तो कई पूर्व सैन्य अधिकारियों की भी संलिप्तता सामने आई. सीबीआई ने कई रिटायर्ड वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों से पूछताछ भी की.

घपलों-घोटालों का यह अंतहीन सिलसिला न जाने कब थमेगा. एक के बाद एक हो रहे घोटालों की कड़ी में अभी हाल ही में कांग्रेसी नेता एवं रेल मंत्री पवन बंसल का नाम सामने आया है. रेलवे बोर्ड सदस्य के प्रमोशन के लिए पवन बंसल के भांजे को 90 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए सीबीआई ने रंगे हाथों पकड़ा. पहले तो बंसल ने भांजे से संबंध न होने की बात कही, लेकिन जैसे-जैसे केस आगे बढ़ा, तो पता चला कि भांजे विजय सिंगला और मंत्री जी के बीच बहुत गहरा संबंध है.

रेलवे बोर्ड का सदस्य बनाने के लिए दस करोड़ रुपये की डील हुई थी और पेशगी के तौर पर 90 लाख रुपये लेते वक्त सिंगला सीबीआई की गिरफ्त में आ गया. फिलहाल मामले की जांच चल रही है. बहरहाल, यूपीए सरकार के दस सालों का लेखा-जोखा यही बताता है कि इस देश में अब लोक कल्याणकारी सरकार की जगह दलालों, घूसखोरों एवं बिचौलियों ने ले ली है. क़ानून देश की आम जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए नहीं, बल्कि कॉरपोरेट हाउसेज की तिजोरियां भरने के लिए बनाए जा रहे हैं. चाहे वह क़ानून जल, जंगल, ज़मीन से जुड़ा हो या आकाश या पाताल से. सरकार खुद प्रॉपर्टी डीलर बन चुकी है और जनता बेबस, लाचार और असहाय बनी हुई है.

और भी हैं महाघोटाले…
इस घोटाले की गूंज अभी देश में सुनाई नहीं दे रही है, लेकिन यह घोटाला अब तक के सारे घोटालों का रिकॉर्ड तोड़ देगा. यह घोटाला कम से कम 48 लाख करोड़ रुपये का है. यह थोरियम घोटाला  है. भारत में थोरियम का सबसे बड़ा भंडार है. दक्षिण भारत के समुद्री किनारों पर थोरियम फैला हुआ है. दुनिया के दूसरे देशों में थोरियम पत्थरों में पाया जाता है, लेकिन स़िर्फ हमारे देश में ही  यह साधारण बालू में मिलता है. इसका खनन एवं इसे जमा करना आसान है और यह सस्ता भी है. कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने आज थोरियम लूटने की खुली छूट दे रखी है. समुद्र तटों से निजी कंपनियों द्वारा थोरियम की लूट हो रही है. 30 नवंबर, 2011 को कोडीकुनेल सुरेश ने लोकसभा में प्रधानमंत्री से सवाल पूछा. सवाल यह था कि देश से जो मोनाजाइट निर्यात किया जा रहा है, क्या उसमें किसी क़ानून का कोई उल्लंघन हुआ है या नहीं? इस पर पीएमओ के मिनिस्टर ऑफ स्टेट वी नारायणसामी ने जवाब दिया कि मोनाजाइट को छोड़कर समुद्र तट की बालू, जिसमें कुछ खनिज हैं, का निर्यात किया जा रहा है, क्योंकि मोनाजाइट और थोरियम के निर्यात के लिए लाइसेंस दिया जाता है और अब तक किसी कंपनी को इसे निर्यात करने के लिए लाइसेंस नहीं दिया गया है. डिपार्टमेंट ऑफ एटॉमिक एनर्जी ने 6 जनवरी, 2006 को कई दूसरे खनिजों को अपनी सूची (एसओ-61-ई) से हटा दिया और निजी कंपनियों को उन्हें निर्यात करने की छूट दे दी. लेकिन क्या सरकार को यह पता है कि देश से मोनाजाइट का निर्यात हो रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक़, 2004 में जब मनमोहन सिंह की सरकार बनी, तबसे अब तक 2.1 मिलियन टन मोनाजाइट भारत से ग़ायब कर दिया गया है. मोनाजाइट उड़ीसा, तमिलनाडु और केरल के समुद्र तटों पर मौजूद बालू में पाया जाता है. मोनाजाइट में क़रीब दस फीसद थोरियम होता है. इसका मतलब यह कि क़रीब 1,95,000 टन थोरियम गायब कर दिया गया.

यह घोटाला रिलायंस और केजी बेसिन  से जुड़ा हुआ है. सरकार पर रिलायंस को फायदा पहुंचाने का आरोप है. आरोप का आधार सीएजी रिपोर्ट है. सरकार पर आरोप यह है कि उसने जान-बूझकर रिलायंस को फायदा पहुंचाया और इससे देश को बहुत बड़ा आर्थिक नुक़सान हुआ. यह नुक़सान 2-जी स्पेक्ट्रम घोटाले से भी बड़ा है. रिलायंस कंपनी पर सरकार ने दरियादिली का इज़हार कुछ ऐसे किया कि कृष्णा-गोदावरी बेसिन की गैस की क़ीमत तय करने के लिए सचिवों का एक समूह बना. पिछले कैबिनेट सचिव के एम चंद्रशेखर इसके अध्यक्ष बनाए गए. आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाई एस राजशेखर रेड्डी की तीन चिट्ठियों को आधार बनाया गया था. रेड्डी का सुझाव था कि सरकारी कंपनी एनटीपीसी  से रिलायंस को 2.97 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू गैस मिलती थी. यह दर वैश्विक प्रतिस्पर्धा के ज़रिए तय की गई थी, इसलिए इसे ही बाज़ार दर माना जाए. इस समूह ने यह भी कहा कि गैस की क़ीमत अगर एक डॉलर भी बढ़ती है, तो रासायनिक खाद सेक्टर का ख़र्च बढ़ेगा, जिससे सरकार पर कई हज़ार करोड़ रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी का बोझ आएगा, पर मंत्री समूह ने इन सारी दलीलों को खारिज कर गैस की क़ीमत 4.2 डॉलर तय की. इस तरह रिलायंस को फायदा पहुंचाया गया. सरकार को कितना नुक़सान हुआ, इसका आकलन करने में सीएजी ने हाथ खड़े कर दिए हैं. सीएजी का कहना है कि नुक़सान का आंकड़ा इतना बड़ा होगा कि उसका हिसाब लगाना मुश्किल है.

एक और घोटाला है मनरेगा का. अभी हाल में कैग ने अपनी रिपोर्ट दी है. यह क़रीब 13 हज़ार करोड़ रुपये का घोटाला बताया जा रहा है. कैग ने बताया है कि इस योजना के क्रियान्वयन में ज़बरदस्त धांधली की गई है. यूपीए सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा आज लूट का सबसे बड़ा अड्डा बन चुकी है. 2252 करोड़ रुपये की अवैध योजनाएं मनरेगा के तहत शुरू कर दी गईं. 8 लाख निर्माण कार्य निर्धारित समय में पूरे नहीं किए जा सके. कैग के मुताबिक़, 6574 करोड़ रुपये से ऐसे काम हुए, जिनसे कोई बुनियादी ढांचा तैयार नहीं हो सका. उत्तरप्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र में इस योजना की हालत ख़राब है. ज़रूरतमंदों के जॉब कार्ड तक नहीं बन पाए. बहरहाल, कांग्रेस जिस योजना को अपना फ्लैगशिप कार्यक्रम बताती है, वह दरअसल ग़रीबी हटाने की जगह भ्रष्टाचार बढ़ाने का ज़रिया बन चुकी है.
साभार
शशि शेखर - shashishekhar@chauthiduniya.com
http://www.chauthiduniya.com/2013/05/%E0%A4%AF%E0%A5%82%E0%A4%AA%E0%A5%80%E0%A4%8F-%E0%A4%B8%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%89%E0%A4%AA%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%98%E0%A5%82%E0%A4%B8-%E0%A4%98.html

भूखंड घोटालों का नोएडा-4

आईएएस को सजा नेताओं को मजा


1994 में घोटाला तब हुआ था, जब नीरा यादव नोएडा की मुख्य कार्यकारी अधिकारी थीं। इस मामले में नोएडा एंटरप्रेन्योर्स एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने नीरा पर भूखंड आवंटन में अनियमितताएं बरतने के आरोप की जांच कर रपट दर्ज की थी। सीबीआई ने कोर्ट में दो अलग-अलग आरोप पत्र दाखिल किए थे। दूसरे आरोप पत्र में नीरा पर आरोप लगे कि उन्होंने अपनी दो बेटियों सुरुचि और संस्कृति के नाम व्यावसायिक भूखंड आवंटित करवाए थे। दोनों बेटियों का कारोबार दिखाया जबकि जांच में पता चला कि तब सुरुचि दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज में और संस्कृति किसी ब्रितानी कॉलेज में पढ़ रही थीं।

नोएडा भूखंड घोटाले का खुलासा होने पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 26 फरवरी 1998 को सीबीआई ने मामला दर्ज किया। मामला नोएडा अथॉरिटी की तत्कालीन सीईओ नीरा यादव और अन्य के खिलाफ दर्ज हुआ। 16 अक्तूबर 2002 को सीबीआई ने आरोप पत्र अदालत में दाखिल किए। नीरा के साथ तत्कालीन डिप्टी सीईओ आईएएस राजीव कुमार भी आरोपी बने। मामला गाजियाबाद में सीबीआई के विशेष जज एस. लाल की अदालत में चला।

जांच में यह भी पता चला था कि नीरा ने खुद के नाम भी प्लॉट आवंटित कराया था, जिसे बाद में दूसरे सेक्टर में बदला भी था। नीरा तब नोएडा अथॉरिटी की अध्यक्ष थीं। 7 दिसंबर 2010 को विशेष सीबीआई अदालत ने नीरा और फ्लेक्स ग्रुप इंडस्ट्रीज के मालिक अशोक चतुर्वेदी को 1994 के नोएडा जमीन घोटाले में दोनों को चार-चार साल कैद की सजा दी थी। नीरा पर अवैध रूप से नोएडा में फ्लैक्स इंडस्ट्री को 20 हजार और आठ हजार मीटर जमीन दी थी।

आईएएस राजीव कुमार पर आरोप था कि पहले उन्हें भूखंड संख्या बी-86/51 दिया था। इसे उन्होंने ए-36/44 में तब्दील करवाया। इसे भी 27/14ए में तब्दील किया। 300 मीटर के इस भूखंड के पास 105 मीटर की अतिरिक्त जमीन भी अपने नाम दर्ज करवा ली। नियमों को ताक पर रख कर फ्लेक्स ग्रुप को सेक्टर 51 में ए 99 नंबर का ग्रुप हाउसिंग भूखंड दे किया। छह कंपनियों ने आवदेन किए थे लेकिन फ्लेक्स को लेटरपैड पर आवंटन कर दिया था। नियमों की धज्जियां उड़ा कर गलत सूचनाएं देने और अनुमति देने का काम नीरा ने किया था।

नोएडा भूमि घोटाले में नवंबर 2012 में उत्तरप्रदेश की पूर्व मुख्य सचिव नीरा यादव और आईएएस राजीव कुमार को विशेष सीबीआई अदालत के जज एस लाल ने ने तीन-तीन साल की कैद की सजा दी। दोनों पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया। 1971 बैच की आईएएस अधिकारी नीरा 1995 में नोएडा की मुख्य कार्यकारी अधिकारी थीं और नियमों का उल्लंघन कर एक उद्योगपति को बेशकीमती भूखंड दिया था। सीबीआई ने आरोप लगाया था कि नीरा ने भूमि उपयोग बदलने के लिए तत्कालीन उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजीव से मिल कर साजिश रची और उसका क्षेत्रफल भी बढ़ाया था। यह भूमि अतिथि गृह के लिए थी। उन पर यह भी आरोप लगा कि नोएडा अध्यक्ष पद का दुरूपयोग कर खुद के लिए भी भूखंड आवंटित करवाया था।

Tuesday, May 21, 2013

IPL Spot Fixing Scam : Supreme Court refuses to ban IPL, BCCI pulled up; Bollywood actor Vindoo Dara Singh arrested


The Supreme Court today refused to ban the IPL as a game and as a league as it dismissed a petition seeking to scrap the remaining matches of IPL-6 amid growing concerns about corruption in the sport. The apex court, however, pulled up the BCCI for its lackadaisical attitude and asked for an action report within two weeks.

Meanwhile, the spot fixing saga snared its first Bollywood victim with Vindoo Dara Singh being arrested by Mumbai crime branch officials for his links with betting mafia. Vindoo, the son of the late Dara Singh, will be produced in a Mumbai lower court on Wednesday. News channels quoted sources as saying Vindoo was arrested following the arrest of Ramesh Vyas, who is linked to key bookies Jupiter and others named by Delhi police.

Vindoo, the winner of a realty show, was in constant touch with Vyas, according to call details.

News channel CNN-IBN quoted sources as saying Vindoo was named by Vyas and questioned by the Mumbai Police on Monday night before being formally arrested today morning. Vindoo has reportedly admitted to betting after being questioned for hours by Mumbai Police.

SUPREME COURT'S RULING
While directing the one man commission appointed by the BCCI to look into IPL irregularities and submit its report within two weeks, the apex court said: "The credibility of the game should be maintained. Spot-fixing is because of lackadaisical attitude of the BCCI and must stop."

An apex court bench of Justices B.S. Chauhan and Dipak Misra asked the BCCI to take appropriate actions against the individual players as well as the team indulging in illegal activities in order to make sure the "gentleman's game" keeps up its status.

"There has to be scientific, rational and dispassionate approach by BCCI to stop fixing," the Supreme Court said,

The court also said that even judges were shocked by the spot-fixing scandal and added cricket is a gentleman's game and should remain as such.

In its reply, the BCCI said it has appointed the board's anti-corruption unit chief Ravi Sawani to look into the IPL irregularities; and added anti-graft officials will accompany IPL teams.

Former Test bowler S Sreesanth and two other players were arrested along with 11 bookmakers on Thursday on suspicion of spot-fixing in the IPL.

The case has prompted the government to look at the possibility of introducing a law to combat match fixing and spot-fixing.

Cricket fan Sudarsh Awasti, an architect by profession and self-declared social activist, had lodged the petition with the court demanding the scrapping of the remaining four IPL matches, including Sunday's final.

He had also called for a special investigation to be launched to get to the bottom of the spot-fixing scandal and for the league to be banned from next year.

POLICE QUESTIONS TRIO AGAIN
Even as police prepares to ask for further custody of the three cricketers arrested for alleged spot fixing, a special cell of the Delhi Police questioned S. Sreesanth, Ajit Chandila and Ankeet Chavan again today before producing them in a Saket court later in the day.

According to news channel Times Now, the Special Police has prepared a report of its probe into the case so far. Sources told the channel that the cash and gifts allegedly given to the three players is yet to be traced.

A day after Rajasthan Royals filed a police complaint against their three players - Sreesanth, Chandila and Chavan - arrested for alleged spot-fixing in IPL matches and, pending inquiry, suspended the trio's contracts; the Delhi Police will ask for further custody of the three cricketers, and seven of the 11 bookies when the accused are produced at a Saket court in New Delhi on Tuesday.

The three cricketers were interrogated for the fifth straight day by the Delhi Police yesterday and were questioned together for the first time. Sources say all three confessed to their crime, but blamed each other for dragging them into spot-fixing.

Meanwhile, Baburao Yadav, the former Ranji cricketer detained yesterday has been formally arrested and is also likely to be produced in court. Sources told news channel CNN-IBN that Baburao was the conduit between bookie Sunil Bhatia and Chandila. Delhi Police had yesterday recovered Rs.20 lakh from the house of a relative of Chandila in Haryana's Palwal.

Even as the lawyer for Sreesanth prepares to file for bail, the case against him and Chandila has tightened with developments in the probe by the Delhi Police and the Mumbai Police.

A Delhi Police team led by Commissioner Neeraj Kumar is questioning S Sreesanth, Ajit Chandila and Ankeet Chavan before they are taken to court. The police are likely to tell the court that the names of more cricketers need to be probed.

CHAIRMAN MEETS POLICE
The Rajasthan Royals chairman Ranjit Barthakur has met the Delhi police special cell handling the spot-fixing case.

ANOTHER BOOKIE ARRESTED
The Chennai Police have arrested a bookie Prashant in connection with the IPL spot-fixing scandal. The police have recovered Rs 4 lakh cash from him.

SEVEN LUCRATIVE MINUTES
In the space of just seven minutes early in the evening on May 9, cricket bookie Chandresh Patel allegedly made Rs 2.5 crore. Those were the minutes that India pacer Sreesanth took to send down his second, allegedly fixed, over in Mohali, conceding a predetermined number of runs. Those were also the minutes in which Patel made his killing, reports Indian Express.

'HELPING ICC FIGHT FIXING
Baburao, who was questioned by Delhi police yesterday, claimed that he was helping the International Cricket Council's Anti-Corruption Unit (ACU) fight the problem of fixing in cricket.

"I have nothing to do with spot fixing. I haven't done anything wrong so I am ready to provide all the information. In fact, I am helping the ICC's ACU on certain issues," Baburao told Times of India on Monday from Delhi, just before he was taken to the special cell of Delhi Police for questioning.

CONTENTS OF SREESANTH'S LAPTOP 
Mumbai Police sources told CNN-IBN that the examination of Sreesanth's laptop and notebook points to his e-mail interactions with a suspected Bollywood casting director, who sent him pictures of models. Sources say that some e-mails, possibly Sreesanth's conversations with Jiju and a bookie Jupiter, have been deleted and now the cyber cell will be asked to retrieve all the mails.

NO PRESSURE ON US: DELHI POLICE
Delhi Police said yesterday there was no pressure on them to go soft on the three players accused of spot fixing as officials of the BCCI's anti-corruption unit met the capital's police chief seeking cooperation in the case.

Delhi Police Commissioner Neeraj Kumar told NDTV 24X7 channel after meeting BCCI's ACSU chief Ravi Sawani.: "There is no pressure whatsoever and, in any case, even if there is any pressure we are going to take this probe to its logical end, come what may."

LEGALISE BETTING: ZINTA 
As the spot-fixing scandal puts a black spot on the Indian Premier League, Kings XI Punjab owners Preity Zinta and Ness Wadia have come up with suggestions like putting franchise owners in the IPL governing council, legalising betting and carrying out random polygraph tests on players.

CASTING DIRECTOR QUESTIONED
The Mumbai Police yesterday questioned a woman and a Bollywood casting director for their links to spot-fixing in the IPL.

The night Sreesanth was arrested, he was in a car with two models who allegedly doubled up as escorts. One of the women was questioned yesterday.

The casting director questioned by the police had allegedly sent Sreesanth pictures and numbers of 13 models and small-time actresses.

COURT DISPOSES OF SREESANTH'S PLEA
A Delhi court yesterday disposed of a plea by Sreesanth, seeking a copy of the first information report (FIR) registered against him.

Metropolitan Magistrate Gaurav Rao disposed of Sreesanth's plea as his lawyer did not turn up in the court to pursue it.

Sreesanth's advocate Deepak Prakash, filing the application, told the court that the accused should be told about the grounds of his arrest. Sreesanth was an international-level player and had no reasons to get involved in spot fixing, he added.

BANGALORE CONNECTION 
The two 'escort girls' accompanying Sreesanth when Delhi police arrested him in Mumbai last week, are from Bangalore, highly placed police sources said.

The Bangalore girls not only accompanied the Kerala-based cricketer, but also monitored his movements and passed it to their 'bosses', suspected to be bookies, said police sources.
COURTESY:
Yahoo! Cricket
http://cricket.yahoo.com/news/spot-fixing--police-to-seek-further-custody-of-tainted-trio-051242912.html

IPL Spot Fixing Scam : IPC on cards to curb match-fixing


Sibal: Current Provisions Inadequate
New Delhi: The government is looking to incorporate match-fixing and spotfixing as specific criminal offences under the Indian Penal Code as a deterrent against the subversion of cricket and other sports by the increasingly audacious gangs of bookies.

Law minister Kapil Sibal, who is piloting the move amid a national outrage over the disclosure of spotfixing in the IPL, told TOI on Monday that a specific provision dealing with the “evil” was needed as its absence was being exploited by bookies and others. “It is an evil that needs to be dealt with. The current provisions of the IPC are inadequate. There has been no prosecution for matchfixing because the essential ingredients of the offence under Section 420 are difficult to satisfy,” he said.

Sibal said the government will first examine if the Centre could legislate on the issue, given that under the Constitution, sports is the responsibility of states. He said the government would soon seek attorney general G E Vahanvati’s opinion on the matter. “In case the AG holds that the Centre does not have the jurisdiction, then we will help the s ports ministry come up with a model legislation and discuss it with the states,” he said. “We will be more than happy to collaborate with the sports ministry,” he added.

Black money, hawala links under lens
The Enforcement Directorate and the income tax department plan to probe the money laundering angle in the IPL spot-fixing scandal. A senior official in the revenue department said the agencies will focus on black money and the possibility of transactions being routed by bookies and hawala dealers. They will register separate cases after finishing their preliminary inquiries and going through the FIRs filed by police in Delhi and Mumbai.

The Delhi police had arrested India pacer S Sreesanth and his Rajasthan Royals teammates Ajit Chandila and Ankeet Chavan for fixing parts of at least three IPL matches. Sources say the ED might also investigate the hawala transactions allegedly made in this case under forex laws. The income tax department will look at tax evasion by individuals and betting syndicates involved in such instances. TNN

Sreesanth to file bail plea today 
Though the special cell is yet to decide if they want to seek further police custody of the cricketers, Sreesanth’s lawyer claims they will be moving bail application on Tuesday. The lawyer said that the police intercepts neither has any voice samples linking him directly to the bookies nor a proper money trail of how the ill-gotten money reached Sreesanth. However, cops are confident that Sreesanth’s plea will be rejected. Earlier on Monday, Sreesanth’s plea that he be provided with a copy of the FIR of the spot fixing scandal case was disposed of by a Delhi court as his lawyer did not turn up to pursue it. TNN
COURTESY:
TIMES NEWS NETWORK 
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IPL Spot Fixing Scam : PIL seeks SIT probe, stay on matches
New Delhi: With the Centre deciding to draft a special law to punish those guilty of spot-fixing and cheating in competitive sports, a public interest litigation filed in the Supreme Court sought a probe by a special investigation team into the IPL spot-fixing scandal.

The petitioner, Lucknowbased Sudarsh Awasthi, narrated the manner in which cricketers and a betting syndicate, allegedly controlled by Dawood Ibrahim from across the border, cheated a population which passionately followed IPL matches.
 
Awasthi sought a stay on the play-off matches, scheduled this week among the four top teams, and said people’s confidence in the game of cricket should be restored.

“There are many irregularities in the IPL beginning from auction of players. Black money and money from antisocial elements are involved in the IPL which needs to be probed,” the petitioner said.
COURTESY:
TIMES NEWS NETWORK 
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IPL Spot Fixing Scam : Money from land sale: Chandila kin
New Delhi: Police suspect the Rs 20 lakh recovered from Ajit Chandila’s aunt’s house was advance taken by the Rajasthan Royals player to bowl an over in a game in which he would concede 14 or more runs. While he did concede 14 runs, he didn’t give the required signal for bookies to take bets. In phone intercepts the bookies are heard demanding this advance back, but Chandila tries to fob them off by saying that he would adjust the amount in future games.

Police sources said that the money was brought from Chandila’s house to his aunt’s by a cousin of his. The role of the cousin is being probed. Again, in phone intercepts Chandila is heard telling his wife to give the money to someone who would come home.

Chandila’s family, however, claims that the money came to them as government compensation for three acres of land that was acquired. Cops dismiss the claim and say that, according to the arrested bookies, Chandila had taken money from them seven or eight times. Also, quite often, he had failed to do their bidding.

Meanwhile, Rajasthan Royals has filed a police complaint against the three players for violating the terms of their agreement with the franchise. This complaint is being incorporated into the police FIR and would help in establishing the case of cheating against the players under Section 420. Two fans have also filed complaints of being cheated and that, too, is being incorporated in the police FIR.

Delhi police has engaged Dayan Krishnan, the special prosecutor in the Nirbhaya case and a former NIA prosecutor, to prepare the spot-fixing case. The cops know they have a tough legal battle on their hands and are preparing for it.

BCCI’s anti-corruption unit chief Ravi Sawani, a former CBI officer, met Delhi police commissioner Neeraj Kumar on Monday.
COURTESY:
Dwaipayan Ghosh TNN 
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Three arrested IPL players, bookies give voice samples
New Delhi: Initially, Delhi police’s probe into the spotfixing scandal began with a phone call interception in which they heard cricketers talking to bookies about taking money for giving away runs. Now, Delhi police’s investigations have got a shot in the arm with all three cricketers — S Sreesanth, Ankeet Chavan and Ajit Chandila and bookies giving their consent to the sleuths for taking their “voice samples”. Sources say S Sreesanth and Ankeet Chavan’s voice samples have, in fact, already reached in CFSL, Delhi. The voice samples of Chandila and two bookies — Jiju Janardhan and Manan — were taken to the laboratory on Monday.

All the accused persons giving their voice samples is a major breakthrough in this case based on voice recording of spot-fixing, which will be corroborated with the videorecording of three bowlers giving away runs and also meetings in hotels. The CFSL experts have also been provided with the audio and videos which Delhi police already had and now experts would match the voices with the tapes. Officials say CFSL has been requested to process the voice samples matching on priority basis, looking at the sensitivity of the case.

In the beginning, sources say, Chandila had refused to give his consent for the voice sample but after he was coaxed with foolproof evidence against him, he also agreed to give voice sample and was taken to CFSL on Monday. Chandila, during interrogation, is turning out to be the hard nut and often giving contradictory statements.

The bookies — Ashwini Aggarwal alias Tinku, Jiju, Manan, Chandresh alias Chand and Amit Singh (former IPL player) have disclosed during interrogation that Chandila had taken money from them in 7-8 matches, sources say, but he did not perform as decided or did not give signal due to which bookies could not place bet on his overs.

Apart from voice samples, Delhi police officials say all the three cricketers and bookies have also confessed to their involvement in the IPL spot fixing.

RR, fans finally file ‘cheating’ plaints 
New Delhi:Five days after an IPL spot-fixing scandal was unearthed, Rajasthan Royals on Monday finally approached the Delhi police with a complaint against three tainted players of the franchisee saying the cricketers were in contract and they have violated/cheated the franchisee by indulging in illegal practices. On Monday, fans started pouring in with criminal complaints against the three cricketers. Two fans, who watched May 9 and 15 Rajasthan Royals matches in Mumbai and Chandigarh, came to Delhi and gave complaints. TNN
COURTESY:
Neeraj Chauhan TNN 
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IPL Spot Fixing Scam : IPC on cards to curb match-fixing :


Sibal: Current Provisions Inadequate
New Delhi: The government is looking to incorporate match-fixing and spotfixing as specific criminal offences under the Indian Penal Code as a deterrent against the subversion of cricket and other sports by the increasingly audacious gangs of bookies.

Law minister Kapil Sibal, who is piloting the move amid a national outrage over the disclosure of spotfixing in the IPL, told TOI on Monday that a specific provision dealing with the “evil” was needed as its absence was being exploited by bookies and others. “It is an evil that needs to be dealt with. The current provisions of the IPC are inadequate. There has been no prosecution for matchfixing because the essential ingredients of the offence under Section 420 are difficult to satisfy,” he said.

Sibal said the government will first examine if the Centre could legislate on the issue, given that under the Constitution, sports is the responsibility of states. He said the government would soon seek attorney general G E Vahanvati’s opinion on the matter. “In case the AG holds that the Centre does not have the jurisdiction, then we will help the s ports ministry come up with a model legislation and discuss it with the states,” he said. “We will be more than happy to collaborate with the sports ministry,” he added.

Black money, hawala links under lens 
The Enforcement Directorate and the income tax department plan to probe the money laundering angle in the IPL spot-fixing scandal. A senior official in the revenue department said the agencies will focus on black money and the possibility of transactions being routed by bookies and hawala dealers. They will register separate cases after finishing their preliminary inquiries and going through the FIRs filed by police in Delhi and Mumbai.

The Delhi police had arrested India pacer S Sreesanth and his Rajasthan Royals teammates Ajit Chandila and Ankeet Chavan for fixing parts of at least three IPL matches. Sources say the ED might also investigate the hawala transactions allegedly made in this case under forex laws. The income tax department will look at tax evasion by individuals and betting syndicates involved in such instances. TNN

Sreesanth to file bail plea today 
Though the special cell is yet to decide if they want to seek further police custody of the cricketers, Sreesanth’s lawyer claims they will be moving bail application on Tuesday. The lawyer said that the police intercepts neither has any voice samples linking him directly to the bookies nor a proper money trail of how the ill-gotten money reached Sreesanth. However, cops are confident that Sreesanth’s plea will be rejected. Earlier on Monday, Sreesanth’s plea that he be provided with a copy of the FIR of the spot fixing scandal case was disposed of by a Delhi court as his lawyer did not turn up to pursue it. TNN
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TIMES NEWS NETWORK 
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MEMORIAL SCAM: Maya men indicted in 1.4k cr scam: Naseemuddin, Kushwaha Land In Lokayukta Net


Lucknow: With less than a year to go for the general elections, BSP bigwigs and former ministers Naseemuddin Siddiqui and Babu Singh Kushwaha got embroiled in a Rs 1,410-crore scam on Monday. The UP Lokayukta has indicted them for wrong-doings in the buying of sandstone from Mirzapur used in five dalit memorials in Lucknow and Noida.

The Lokayukta also named 197 others, which makes the memorial scam among the larger ones to rock UP. The misappropriation was in the form of overspending of public money, said Lokayukta NK Mehrotra, who also called for a CBI inquiry, or one by any other agency not controlled by the state government. Mehrotra also called for special trial courts.

The Lokayukta, who handed over his 88-page report to CM Akhilesh Yadav, exonerated former CM Mayawati for lack of evidence and said there was no proof against any bureaucrat either.

However, the 199 people indicted include BSP MLA Ramesh Chandra Dubey and two former BSP MLAs — Anil Kumar Maurya and Sharda Prasad. The other indictees are two advocates, 57 engineers, 20 consortiums, 60 marble supply firms, 37 accountants and eight others.

The report expresses dissatisfaction over two Economic Offences Wing reports for their silence on the involvement of 37 accountants of Lucknow Nirman Nigam. The Lokayukta report recommends the filing of FIRs against 19 people, including the two former ministers, former Nirman Nigam MD CP Singh, joint director (mining) S A Farooqui and 15 engineers who fixed the rate for the purchase of sandstone from Mirzapur. Justice Mehrotra said there was no need of any further open investigation and criminal investigation on the FIR should be completed within six months.

The Lokayukta said besides documentary evidences, CP Singh and Farooqui had stated during their testimony that all decisions were taken at the residences of Naseemuddin Siddiqui and Babu Singh Kushwaha. Similarly, Kushwaha said all major decisions were taken by Siddiqui while the second-in-command in the Mayawati government told the Lokayukta that all decisions were taken at government level. “I believe the government obviously includes ministers, as Siddiqui was heading the nirman nigam while Kushwaha was heading mining, hence they were directly responsible,” said Justice Mehrotra.

The Lokayukta said when the construction work began, the rate of pink stone was between Rs 40 and Rs 50 per cubic feet. The contractors, engineers and consortiums, however, fixed the rate at Rs 150 per cubic feet claiming this was the rate; the Lokayukta added that assuming that the rate might have increased from Rs 50 to Rs 100 per cubic feet; there was still overcharging by Rs 50. The overspending of over Rs 1,410 crore was computed on the extra Rs 50 , said Justice Mehrotra.

In the report, the Lokayukta also recommended recovery of 30% of the amount from the two ministers, 15% each from CP Singh and SA Farooqui and 15 engineers and 5% each from the accountants.
COURTESY:
TIMES NEWS NETWORK
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IPL SPOT FIXING SCAM: 20 lakh found in kit bag at Chandila’s aunt’s house


Cops Also Hunt For Sreesanth Money Trail
New Delhi: The money trail in the IPL spot-fixing scandal is getting established with the Delhi police on Monday recovering Rs 20 lakh from the residence of Rajasthan Royals player Ajit Chandila’s aunt in Palwal, a Haryana town close to Chandila’s hometown, Faridabad.

Early in the morning a police team, with Chandila in tow, reached Palwal to carry out the search at his aunt’s
house. The money was recovered from a cricket kit bag. “Chandila helped us locate the bag. The entire process was videographed so that it can be produced in court as evidence,” said a senior officer.

Top police sources said that the money trail in the case of India international S Sreesanth was also close to being established. It’s learned that the pacer went into a flurry of buying lavish gifts for his friends. The cops are trying to establish these purchases with the date around which bookies allegedly paid him.

In Chandila’s case, police suspect that the recovered money is the amount he allegedly took from the bookies as advance.

‘POLICE WILL TAKE AWAY MY PHONE ANYTIME NOW’ 
Baburao Yadav, a 30-yearold former Ranji Trophy player from Vidarbha, was detained for questioning by the Delhi police on Monday

When a TOI reporter called Yadav around 11.30am, his voice sounded calm. “I won’t be able to talk to you anymore because I am being taken to Delhi police special cell. And they will take away my phone,” he said

Yadav said he was being taken there by ICC’s Anti Corruption Unit and that he was in touch with Dharamveer Yadav, ICC’s regional (India & Sri Lanka) security manager. Dharamveer denied this

TRAINED AT MRF 
Born in the small town of Chandrapur in Maharashtra

Bowled brisk medium pace and was a handy bat in his heyday

Trained at the MRF Pace Academy with Sreesanth, Munaf Patel, R P Singh, Irfan Pathan and others Last first-class game in 2004 where he took three wickets against Services

Also played for Ahmedabad Rockets and Hyderabad Heroes in ICL SUSPENDED

Was suspended from his job as a signal offi cer in Nagpur with South East Central Railways on Monday

Was seen as potential national player by fellow cricketers. Loved crisis situations where he could emerge as a hero

Was regarded as a helpful person by fellow players. Kept contact with several fi rst-class cricketers
COURTESY:
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BANK SCAM: Sting op: Banks come under RBI-FIU lens

MORE ACTION EXPECTED
New Delhi: The Reserve Bank as well as the finance ministry’s Financial Intelligence Unit is looking into the allegations of money laundering by ICICI Bank, HDFC Bank and Axis Bank and accordingly action will be taken, Parliament was informed on Tuesday.

There were some allegations of money laundering in the media against some private sector banks, minister of state for finance Namo Narain Meena said in written replies to separate questions in Rajya Sabha.

Accordingly, he said, the RBI has conducted a scrutiny in these banks to look into the allegations. Financial Intelligence Unit (FIU-IND) has also reported that the “banks concerned, i.e. Axis Bank, ICICI Bank and HDFC Bank” have also initiated enquiries and sent it an interim report, he said.

“These reports are being examined with a view to initiate further action for violations, if any, of the provisions of the Prevention of Money Laundering Act, 2002, concerning non-fulfillment of the obligations to verify the identity of the customers, maintain records and file statutory reports by FIU-IND,” Meena said.

The statutory reports include cash transaction report and suspicious transaction report. The country’s three largest private banks were last month accused by a web portal of indulging in money laundering activities. Meena further said that FIU-IND had also taken up the matter with banks concerned and has reported that HDFC Bank and ICICI Bank have suspended their employees reported in the sting operation.

Axis Bank has transferred their involved employees from operational assignments to administrative role and the user access of the employees to certain systems of the bank has been disabled, he added. PTI
Courtesy:
http://epaper.timesofindia.com/Default/Scripting/ArticleWin.asp?From=Archive&Source=Page&Skin=TOINEW&BaseHref=TOIM/2013/04/24&PageLabel=22&EntityId=Ar02203&ViewMode=HTML

UTERUS REMOVAL SCAM: Hysterectomies across India often needless: Study

Many Link Spurt To Insurance
Mumbai: Is India witnessing a spurt in unnecessary hysterectomies? Data released by international charity organization Oxfam on February 6 says needless hysterectomies were being performed in Indian private hospitals to economically exploit poor women as well as government-run insurance schemes.

A right to information (RTI) request filed by one of Oxfam’s local NGOs in the Dausa district of Rajasthan showed that 258 of 285 women - 65% - investigated over six months had undergone hysterectomies. Many of these women were under 30, with the youngest being 18.

An editorial in the British Medical Journal quoted Oxfam’s global spokesperson Araddhya Mehtta as saying that the “trend is seen all over India but is particularly disturbing in Rajasthan, Bihar and Chhattisgarh where doctors simply abuse their power of being a doctor”. In 2010, the Andhra Pradesh government tweaked its state-sponsored insurance scheme to disallow hysterectomies in private hospitals after surveys revealed that uteruses of a number of beneficiaries were removed merely to claim higher insurance amounts (the state insurance scheme is only available for the economically poor sections).

Dr Duru Shah, former president of FOGSI (Federation of Obstetric and Gynaecological Societies of India), said modern medicines could fix 95% of woman’s menstrualrelated problems.

However, experts fear the trend of unnecessary hysterectomies possibly exists in urban centres such as Mumbai as well. Aniruddha Malpani, medical director of HELP (Health Education Library for People) in Fort, said, “If some doctors in small towns are performing unnecessary hysterectomies, why should it be any different in cities like Mumbai?”

‘ABUSE OF POWER’
• Indian doctors conduct unnecessary hysterectomies in private hospitals, says Oxfam
•Women in Rajasthan, Bihar and Chhattisgarh worst-hit
•In Rajasthan’s Dausa district, 65-70% of women who sought treatment underwent hysterectomy
•Women as young as 18 have lost their uterus
•A SEWA study in Ahmedabad found women with insurance were more likely to undergo hysterectomy, both in urban and rural areas

‘Hysterectomy hurts the young’
Indeed, an audit performed by insurance companies in Chennai in 2009 had shown that more than 500 women aged 25 to 35 had undergone hysterectomies. A central government study in the wake of the Andhra Pradesh scam had said that women under 45 rarely needed hysterectomy.

A 2011 research paper in medical journal Reproductive Health Matters, conducted by SEWA Health Cooperative doctors in Ahmedabad, showed that insured women had higher rates of hysterectomy. “Among insured women, 9.8% of rural and 5.3% urban women had had a hysterectomy, compared to 7.2% and 4.0 of uninsured women,’’ said the study.

The OXFAM report says India should end its public-private partnership programmes (that allow poor women with government insurance plan to undergo hysterectomy in private hospitals) till regulation improves.

Oxfam official Mehtta has been quoted as saying, “When women came with abdomen pain, doctors prescribed hysterectomy to women from poor economic backgrounds, telling them that it might be a cancer or ahole or a stone in the uterus...”

Dr Rekha Daver who heads the gynaecology of J J Hospital, said, “There may be a marginal increase over the years. But this may only be because women from rural areas who travel to referral centres in cities don’t want to prolong their suffering.”

Incidentally, Maharashtra doesn’t allow hysterectomies in private hospitals under the insurance scheme launched last year for economically weaker sections, called Rajiv Gandhi Jeevandayee Arogya Scheme. “We have learnt from the Andhra Pradesh experience,” said Dr K Venkatesam, CEO of the arogya scheme.

Not all agree that hysterectomies are on the rise. Gynecologist Dr Rakesh Sinha said,“What has changed is that we have facilities such as USG to make accurate diagnosis. Moreover, there are procedures that allow women to go home in a day or two.”

UTERUS REMOVAL & ITS FALLOUT
 If ovaries are removed with the uterus, the woman would reach immediate menopause

Removal of uterus would mean her ovaries don’t get enough blood, and thereby trigger early menopause

Levels of female hormones estrogen and progesterone fall and the body stops producing eggs; menstruation ceases

Without high estrogen level, the risk of heart disease and osteoporosis (brittle bones) rises

Other possible problems: Dry skin, headache or backache, insomnia, lethargy, bladder problems, loss of vaginal elasticity, mood swings, decrease in sexual desire and poor concentration.
Courtesy:
Malathy Iyer TNN
http://epaper.timesofindia.com/Default/Scripting/ArticleWin.asp?From=Archive&Source=Page&Skin=TOINEW&BaseHref=TOIM/2013/02/10&PageLabel=3&EntityId=Ar00302&ViewMode=HTML

Suzlon Energy Case: Lenders approve recast of suzlon's Rs 9,500-crore debt

MUMBAI: Loss-making wind turbine maker Suzlon Energy BSE 4.16 % said lenders, comprising 19 banks led by State Bank of India BSE 0.15 %, have approved its proposal to recast Rs 9,500 crore of debt.

As reported by ET on January 18, the banks have given Suzlon a two-year moratorium on principal and term-debt interest payments. They have also approved a fresh working capital loan of Rs 1,800 crore that will have a six-month interest moratorium, aimed at helping the company speed up execution of its strong order book.

The Tulsi Tanti-promoted company, which has been hit by huge debt and slowdown in business, has got bankers to approve a 10-year door-to-door back-ended repayment plan, with interest rates reduced by almost 300 basis points.

Bankers aware of the development told ET that the debt recast conditions require Suzlon to sell stake in some of its overseas subsidiaries such as the Germany-based REpower to raise capital. But Suzlon has steadfastly refused to sell stake in REpower, though it plans to sell some non-critical assets to raise funds. "The group's long-term strategic plan of realising deep synergies from REpower remains unchanged," Suzlon said in a release.

"This is a major step forward in our efforts to achieve a sustainable capital structure. I am confident that by this corporate debt restructuring package, we will quickly return to a position of stability and provide confidence to our customers, vendors and employees," Kirti Vagadia, chief financial officer, was quoted as saying in the release.

According to the debt recast plan, interest worth Rs 1,500 crore during the two-year moratorium will be converted into equity. Also, the promoters would have to infuse fresh equity worth Rs 250 crore, of which Rs 62 crore was infused last December.

Suzlon, which has piled up 14,000 crore in debt - almost twice its equity base - had posted losses for the past three years. Last year, the company defaulted on a $209-million foreign currency convertible bond repayment.

"We continue to be in constructive dialogue with majority of our bondholders across all the four series, and this development will help provide further visibility towards finding a consensual solution at the earliest," said Vagadia.
Courtesy:
25 Jan, 2013, 08.36AM IST, ET Bureau
http://economictimes.indiatimes.com/news/news-by-industry/energy/power/lenders-approve-recast-of-suzlons-rs-9500-crore-debt/articleshow/18175024.cms

Suzlon Enargy Case: Banks okay Rs 9,500 cr Suzlon bailout

Domestic lenders, comprising 19 banks led by State Bank of India, have approved the Rs 9,500 crore ($1.8 billion) loan bailout package of the Suzlon group with several concessions.

The empowered group of corporate debt restructuring (CDR) cell has formally okayed a package that includes a two year moratorium on principal and term-debt interest payments, a three per cent reduction in interest rates and six month moratorium on working capital interest. Further, the cell has agreed to convert Rs 1,500 crore (two year's interest payment during moratorium) into equity or equity-linked instrument over the next two years to bring stronger financial stability and approve a 10 year door-to-door back-ended repayment plan.

The package also includes an enhancement of working capital facilities, by around Rs 1,800 crore, allowing the company to accelerate the execution of its strong orderbook. The group's promoters will also bring in equity to the extent of Rs 250 crore into the company in stipulated time frame, of which Rs 62 crore has already been infused.

Speaking on the development, Kirti Vagadia, chief financial officer, Suzlon Group, said, "This approval clearly underscores the fundamental viability of our business. This is a major step forward in our efforts to achieve a sustainable capital structure. I am confident that by this CDR package, we will quickly return to a position of stability and confidence for our customers, vendors and employees."
Courtesy:
ENS Economic Bureau : Mumbai, Fri Jan 25 2013, 00:46 hrs
http://www.indianexpress.com/news/Banks-okay-Rs-9-500-cr-Suzlon-bailout/1064501/

HC notice to govt for factory of min’s wife


Mumbai: The Bombay high court on Friday directed the state and the Maharashtra Pollution Control Board to respond to a public interest litigation that sought to halt the construction of a sugar factory allegedly run by cabinet minister Harshvardhan Patil’s relatives. Patil holds the portfolio of the cooperatives department.

A division bench of Chief Justice Mohit Shah and Justice Anoop Mohta was hearing a petition filed by the grampanchayat of Ashti village, Mohol taluka, Solapur, which stated that the “biased authorities” had allowed the factory’s construction to go on by flouting norms. The petition mentions that Patil’s wife, Bhagyashree, is the chairman and managing director of Audumberraoji Patil Sakhar Karkhana Limited. “An extract acquired from the office of the companies’ registrar shows the names of the wife, mother and daughter of the minister,” said the advocate of the Ashti village grampanchayat, Shrinivas Patwardhan.

The petition added that the effluents from the factory, which was illegally being built on agricultural land, would destroy the only drinking water reservoir located 1.5 km away. Ashti talao is reportedly the only source of drinking water for the local population as well as for 25 villages within a 50-km radius. “It is an ecologically sensitive area. Around 200 species of birds visit here,” said Patwardhan.

According to the petition, in April 2011, the taluka health officer of the panchayat samiti had said the factory, which would emit pollutants, molasses, press mud and chemicals, would pose a hazard to the environment and in July 2011, the panchayat unanimously rejected the permission for the factory. In spite of that, the Solapur zilla parishad issued a certificate, which wrongly showed the location of the proposed factory to be farther from the reservoir, the petition stated, adding that even the MPCB did not take effective steps against it.

On hearing the PIL, the judges declined to stay the construction. “Let us see what they (authorities) have to say. We can always ask them to demolish it,” said Justice Shah.

Minister Patil remained unavailable for comment despite several attempts to contact him.
Courtesy:
Rosy Sequeira TNN
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