Thursday, May 2, 2013

भूखंड घोटालों का नोएडा-1

लीज बैक घोटाला 3,800 करोड़ का


दिसंबर 2012 में नोएडा के घोटालों की सूची में 3,800 करोड़ रुपए का एक और मामला जुड़ गया। लीज बैक के नाम पर 2011 में हुए घोटाले में तीन लाख 81 हजार वर्ग मीटर से अधिक जमीन नियम दरकिनार कर बाहरी लोगों समेत तीन निजी कंपनियों के नाम की गईं। विभागीय जांच में पता चला कि गांव के गैर-निवासी व निजी कंपनियों को 175 वर्गमीटर से 15,340 वर्गमीटर के भूखंडों की लीज बैक की गई। एक्सप्रेस-वे पर शाहदरा गांव के पास से सटे सेक्टर 140, 141, 142143 की स्थित जमीन को लीज बैक नियमों का उल्लंघन करने के मामले में इस मामले में नोएडा अथॉरिटी के तत्कालीन सचिव हरीश चंद्र, तहसीलदार अजय श्रीवास्तव और नायब तहसीलदार मनोज कुमार आरोपी हैं।

क्या है लीज बैक
प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र में किसानों की जमीन कई बार बिना सर्वेक्षण किए सिर्फ कागजों पर अफसरान अधिगृहीत करते हैं। अधिग्रहण की धारा - चार के मुताबिक अधिगृहीत जमीन पर पहले से अगर आबादी है या दस्तावेजों में आबादी दर्ज है तो इसे प्राधिकरण वापस किसान को देता है। जमीन की यही लीज वापसी की प्रक्रिया लीज बैक कहलाती है।  

लीज बैक के नियमों का अफसरान ने किया कुछ इस तरह से उल्लंघन जिससे कि गांव के किसान बिना एक पैसा मुआवजा पाए ही अपनी जमीनों से बेदखल हो गए थे। कायदे से तो गांव के किसानों के नाम ही लीज बैक होनी थी। गांव के बाहरी लोगों को लीज बैक नहीं हो सकती है। लीज बैक में किसानों के एक परिवार के नाम पर अधिकतम 450 वर्ग मीटर जमीन दी जा सकती है। लेकिन सच तो यह है कि कुछ बाहरी लोगों और तीन निजी कंपनियों के नाम एकमुश्त लीज बैक की गई, जिससे उन्होंने करोड़ों रुपए के वारे-न्यारे कर लिए थे।

ऐसे हुआ लीज बैक घोटाला
24 अप्रैल 2010 को जारी आदेश के तहत गठित दो समितियों ने जांच के बाद यह नहीं बताया कि कितनी जमीन की लीज बैक होगी। दोनों समितियों की रपट में यह तथ्य भी अफसरान ने छुपाया कि लीज बैक का लाभ निजी कंपनियों को होने वाला है। आबादी नियमावली के तीसरे संशोधन के प्रावधानों के आधार पर दोनों समितियों ने रपट में 12 सितंबर व 21 सितंबर 2011 को दी जबकि नियमावली में तीसरा संशोधन 18 नवंबर 2011 को हुआ था। लीज बैक की स्वीकृति देते हुए सात अक्टूबर 2011 को कंपनियों के पक्ष में लीज डीड भी हो गईं। डीएम व एसएसपी की अध्यक्षता वाली समिति ने लीज बैक के लिए की अनुशंसा का पालन नहीं किया। 

लीज बैक इस आधार पर की गई कि हाईकोर्ट से प्राधिकरण के खिलाफ मुकदमे हारने के बाद जमीन के मालिक किसानों ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष रिट याचिका की थी, जिसमें प्राधिकरण के विरुद्ध आदेश होने की संभावना जताई गई थी। किसानों की 450 वर्ग मीटर तक के आबादी क्षेत्रफल को 30 जून 2011 तक के निर्माण के आधार पर नियमित करने की व्यवस्था है लेकिन गांव शाहदरा के अनिवासी और निजी कंपनियों को 175 मीटर से 15,340 वर्ग मीटर तक के भूखंडों की लीज बैक करने में अफसरान ने खुल कर नियमों का उल्लंघन किया। जो जमीन लीज बैक की, वहां पुरानी आबादी का कोई पक्का सबूत दस्तावेजों में नहीं है।  

12 सितंबर व 21 सितंबर 2011 को हुई दोनों समितियों की बैठक की कोई सूचना सदस्यों को नहीं भेजी थी, न ही मीटिंग एजेंडा दस्तावेजों में दिखता है। 12 सितंबर व 21 सितंबर 2011 की समिति बैठकों में एडीएम न तो आए थे, न हस्ताक्षर किए, जबकि चमत्कारिक रूप से समिति की बैठक के बाद तैयार मिनट्स में एडीएम उपस्थित दिखाए जाते हैं। 12 सितंबर 2011 की बैठक में चीफ आर्किटेक्ट एंड सिटी नियोजक नहीं आए थे, न हस्ताक्षर किए, लेकिन जब बैठक के मिनट्स सामने आए तो वे उपस्थित दिख रहे थे।

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