मुंबई। पेट्रोलियम कंपनी शेल इंडिया लिमिटेड पर अपने ही समूह की विदेश स्थित कंपनी शेल गैस बीवी को 87 करोड़ शेयर कम दामों पर बेचकर 15 हजार करोड़ रुपयों की हेराफेरी करने का आरोप लगा है। आयकर विभाग के मूल्य अंतरण निदेशालय ने यह आरोप लगाया है। मामले की जांच के दौरान इस गड़बड़ी का पता चला।
कंपनी पर आरोप है कि उसने अपने समूह की विदेश स्थित कंपनी को 187 रुपये से अधिक मूल्य के शेयर को सिर्फ 10 रुपये में देकर अपनी भारतीय इकाई को 15 हजार करोड़ रुपये से अधिक का चूना लगाया है। मूल्य अंतरण निदेशालय का मानना है कि कंपनी ने इस हेराफेरी के जरिये आयकर विभाग और सरकार को भारी नुकसान पहुंचाया है।
पहले भी भारत में कारोबार कर चुकी रॉयल डच शेल [आरडीएस] ने वर्ष 2004 में फिर भारत में 4600 करोड़ रुपये निवेश की इच्छा जताई, तो तत्कालीन राजग सरकार ने उसे ल्युब्रीक्रेंट बनाने के अलावा दो हजार पेट्रोल पंप खोलने की अनुमति दी थी।
आरडीएस ने भारत पेट्रोलियम के साथ संयुक्त उपक्रम बनाकर भारत शेल लिमिटेड सहित चार अन्य कंपनियों की स्थापना की, जो पेट्रोलियम उद्योग से संबंधित उत्पादों का उत्पादन व विपणन करने लगी। तीन साल बाद ही 2008 में इन पांचों कंपनियों का विलय कर शेल इंडिया मार्केट प्राइवेट लिमिटेड नाम से नई कंपनी बनाई गई।
आयकर विभाग के सूत्रों के अनुसार कंपनी ने इस विलय के लिए दिल्ली, कर्नाटक, चेन्नई एवं मुंबई हाई कोर्टो में जो दस्तावेज पेश किए, उनमें अपने शेयरों की कीमत सिर्फ 6.93 रुपये दिखाई। बाजार पूंजीकरण के लिहाज से यह दुनिया की दिग्गज कंपनियों में शुमार है। तेल एवं गैस क्षेत्र में तो यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है। यही कारण है कि पांच कंपनियों के आपस में विलय के बाद जब शेल इंडिया लिमिटेड ने अपने 87 करोड़ शेयरों का सौदा विदेश स्थित समूह की कंपनी शेल गैस बीवी के साथ 10 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से सिर्फ 870 करोड़ रुपये में किया तो आयकर विभाग के कान खड़े हो गए।
मूल्य अंतरण निदेशालय द्वारा इसकी जांच करने पर पता चला कि वित्त वर्ष 2009-10 से 2011-12 के बीच कंपनी का जो ईबीआईडीटीए [अर्निग बिफोर इंटरेस्ट डेप्रिसिएशन टैक्स एंड एमॉर्टाइजेशन] लगभग 46 फीसद से बढ़ते हुए 300 फीसद तक पहुंचा था, 2013-14 के लिए उसका अनुमान सिर्फ आठ फीसद लगाकर कंपनी के शेयरों की कीमत को जानबूझ कर सात रुपये के आसपास ला दिया गया।
मूल्य अंतरण निदेशालय के अनुसार, अगर सही आकलन किया जाए तो कंपनी के एक शेयर की कीमत 187 रुपये से ज्यादा बैठती है। इसके आधार पर उन शेयरों की कीमत 15 हजार करोड़ रुपये आंकी है, जो शेल इंडिया ने अपनी विदेशी सहयोगी को मात्र 870 करोड़ रुपये में दी। अब आयकर विभाग कंपनी पर कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। यदि कार्रवाई हुई तो शेल गैस बीवी को 15 हजार करोड़ रुपये शेल इंडिया को चुकाने होंगे। सरकार इस राशि पर टैक्स भी वसूलेगी।
क्या है मूल्य अंतरण निदेशालय
आयकर विभाग के अंतर्गत काम करने वाला मूल्य अंतरण निदेशालय भारत स्थित किसी भी कंपनी द्वारा उस कंपनी की विदेश स्थित सहयोगी कंपनी के साथ किए गए वस्तुओं, सेवाओं या संपत्तियों की खरीद व बिक्री की कीमत की जांच करता है। वह यह भी तय करता है कि खरीद या बिक्री बाजार मूल्य पर की गई है या नहीं।
साभार
ओमप्रकाश तिवारी
जागरण – शनि., २ फरवरी २०१३
http://hindi.yahoo.com/national-10095187-163120631.html
कंपनी पर आरोप है कि उसने अपने समूह की विदेश स्थित कंपनी को 187 रुपये से अधिक मूल्य के शेयर को सिर्फ 10 रुपये में देकर अपनी भारतीय इकाई को 15 हजार करोड़ रुपये से अधिक का चूना लगाया है। मूल्य अंतरण निदेशालय का मानना है कि कंपनी ने इस हेराफेरी के जरिये आयकर विभाग और सरकार को भारी नुकसान पहुंचाया है।
पहले भी भारत में कारोबार कर चुकी रॉयल डच शेल [आरडीएस] ने वर्ष 2004 में फिर भारत में 4600 करोड़ रुपये निवेश की इच्छा जताई, तो तत्कालीन राजग सरकार ने उसे ल्युब्रीक्रेंट बनाने के अलावा दो हजार पेट्रोल पंप खोलने की अनुमति दी थी।
आयकर विभाग के सूत्रों के अनुसार कंपनी ने इस विलय के लिए दिल्ली, कर्नाटक, चेन्नई एवं मुंबई हाई कोर्टो में जो दस्तावेज पेश किए, उनमें अपने शेयरों की कीमत सिर्फ 6.93 रुपये दिखाई। बाजार पूंजीकरण के लिहाज से यह दुनिया की दिग्गज कंपनियों में शुमार है। तेल एवं गैस क्षेत्र में तो यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है। यही कारण है कि पांच कंपनियों के आपस में विलय के बाद जब शेल इंडिया लिमिटेड ने अपने 87 करोड़ शेयरों का सौदा विदेश स्थित समूह की कंपनी शेल गैस बीवी के साथ 10 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से सिर्फ 870 करोड़ रुपये में किया तो आयकर विभाग के कान खड़े हो गए।
मूल्य अंतरण निदेशालय द्वारा इसकी जांच करने पर पता चला कि वित्त वर्ष 2009-10 से 2011-12 के बीच कंपनी का जो ईबीआईडीटीए [अर्निग बिफोर इंटरेस्ट डेप्रिसिएशन टैक्स एंड एमॉर्टाइजेशन] लगभग 46 फीसद से बढ़ते हुए 300 फीसद तक पहुंचा था, 2013-14 के लिए उसका अनुमान सिर्फ आठ फीसद लगाकर कंपनी के शेयरों की कीमत को जानबूझ कर सात रुपये के आसपास ला दिया गया।
मूल्य अंतरण निदेशालय के अनुसार, अगर सही आकलन किया जाए तो कंपनी के एक शेयर की कीमत 187 रुपये से ज्यादा बैठती है। इसके आधार पर उन शेयरों की कीमत 15 हजार करोड़ रुपये आंकी है, जो शेल इंडिया ने अपनी विदेशी सहयोगी को मात्र 870 करोड़ रुपये में दी। अब आयकर विभाग कंपनी पर कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। यदि कार्रवाई हुई तो शेल गैस बीवी को 15 हजार करोड़ रुपये शेल इंडिया को चुकाने होंगे। सरकार इस राशि पर टैक्स भी वसूलेगी।
क्या है मूल्य अंतरण निदेशालय
आयकर विभाग के अंतर्गत काम करने वाला मूल्य अंतरण निदेशालय भारत स्थित किसी भी कंपनी द्वारा उस कंपनी की विदेश स्थित सहयोगी कंपनी के साथ किए गए वस्तुओं, सेवाओं या संपत्तियों की खरीद व बिक्री की कीमत की जांच करता है। वह यह भी तय करता है कि खरीद या बिक्री बाजार मूल्य पर की गई है या नहीं।
साभार
ओमप्रकाश तिवारी
जागरण – शनि., २ फरवरी २०१३
http://hindi.yahoo.com/national-10095187-163120631.html
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