नई दिल्लीः 'आपके इरादे संदेहास्पद हैं। आप यहां जाते हैं, वहां जाते हैं, ये फाइल करते हैं, वो फाइल करते हैं, लेकिन क्या आपने पैसा लौटाया है?...आपका पैसा लौटाने का कोई इरादा नहीं है, क्यों?' सुप्रीम कोर्ट कभी-कभार ही इस तरह के तल्ख शब्दों का इस्तेमाल करता है। सोमवार को उसने सहारा ग्रुप के लिए इन्हीं अल्फाज का इस्तेमाल किया।
अपनी दो कंपनियों के इन्वेस्टर्स को पैसा लौटाने संबंधित मामले में सोमवार को सहारा ने न्यूज पेपर्स में विज्ञापन देकर अपना पक्ष रखने की कोशिश की थी। कोर्ट ने 15 फीसदी इंटरेस्ट के साथ 17,400 करोड़ रुपए सेबी को नहीं देने के लिए सहारा ग्रुप को फटकार लगाई। बाद में सेबी इस पैसे को सहारा के इनवेस्टर्स को वापस करता।
सुप्रीम कोर्ट ने सहारा से पूछा कि क्या हफ्ते भर में वह यह पैसा लौटा सकता है। पहले सेबी को पैसा देने के लिए 30 नवंबर 2012 की डेडलाइन तय की गई थी। जस्टिस अल्तमस कबीर और जे चेलमेश्वर की दो मेंबर वाली बेंच ने सहारा की दलील नहीं मानी।
सहारा ग्रुप, इन्वेस्टर्स की जानकारी देने के लिए सेबी के पास ट्रक भरकर डॉक्युमेंट्स भेजने और पैसा लौटाने के मामले में अपना पक्ष रख रहा था। सीजेआई कबीर ने सहारा के वकील गोपाल सुब्रमण्यम से पूछा, 'ट्रक भर दस्तावेज को भूल जाइए। आप डिफॉल्ट कर चुके हैं(30 नवंबर तक पैसा लौटाने के संदर्भ में)। पैसे का क्या हुआ? आपने क्या किया है? आपने पैसा क्यों नहीं लौटाया?'
सुब्रमण्यम ने कहा कि कंपनी ने पैसा सेबी को ऑफर किया था, लेकिन उसने मना कर दिया। इसके बाद सहारा ने सेबी को पैसा एक्सेप्ट करने को कहने के लिए सिक्युरिटीज अपेलेट ट्राइब्यूनल(सैट) का दरवाजा खटखटाया। सुब्रमण्यम ने दावा किया कि उनके पास 5,000 करोड़ रुपए के पे-ऑर्डर हैं, लेकिन सेबी के पास इसे बांटने की कोई योजना होनी चाहिए। नहीं तो यह पैसा इन्वेस्टर्स को नहीं मिलेगा, जैसा कि गोल्डेन फॉरेस्ट्स केस में हुआ था। लेकिन, बेंच के आगे यह दलील नहीं ठहर सकी। जस्टिस कबीर ने सहारा के वकील को एक और फटकार लगाई।
उन्होंने कहा, 'आपकी पैसे लौटाने की मंशा नहीं है, क्या आपकी मंशा है? कोर्ट के ऑर्डर का मतलब निकालना आपका काम नहीं है। अपने कंडक्ट का बचाव करने की कोशिश न करें, जो न्यायोचित नहीं है।' उन्होंने कहा, 'दुर्भाग्य से आप ऐसा कर रहे हैं।'
सुब्रमण्यम की यह दलील बेकार साबित हुई कि सहारा ने देरी के लिए माफी मांगी थी। बेंच ने उनकी इस दलील पर ध्यान नहीं दिया। सेबी के वकील अरविन पी दत्तर ने कहा कि मार्केट रेग्युलेटर ने सहारा के डॉक्युमेंट्स और पैसे देने से इनकार करने पर कोर्ट की अवमानना और रिव्यू पिटीशन फाइल की थी। उन्होंने दावा किया कि सहारा ने 2.7 करोड़ इन्वेस्टर्स से 27,000 करोड़ रुपए जुटाए थे।
उन्होंने कहा कि बाद में कंपनी ने दावा किया कि इस पैसे को 63 शहरों में रियल एस्टेट प्रॉजेक्ट्स में इन्वेस्ट किया गया है। अब वह क्लेम कर रही है कि उसने पूरे पैसे लौटा दिए हैं और सिर्फ 5,000 करोड़ रुपए की बाकी रकम लौटाई जानी है। इस पर जस्टिस कबीर ने जानना चाहा कि क्या कंपनी एक हफ्ते के अंदर यह रकम लौटाना चाहती है। सहारा के विरोध करने पर जस्टिस कबीर ने कहा, 'कानूनी प्रक्रिया में पड़ने का क्या फायदा है, गरीब लोगों को कैसे पैसा मिलेगा?'
साभार
4 Dec 2012, 0745 hrs IST, इकनॉमिक टाइम्स
http://hindi.economictimes.indiatimes.com/articleshow/17478188.cms
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