नई दिल्ली।। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में मायावती का तीसरा कार्यकाल उनके छोटे भाई आनंद कुमार के लिए काफी 'फलदायी' रहा। ऑफिशल रिकॉर्ड्स के मुताबिक 2007-12 के दौरान आनंद कुमार का रीयल्टी बिजनेस अभूतपूर्व तरीके से फला-फूला। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि यूपी में बिजनेस इंट्रेस्ट रखने वालीं डीएलएफ, यूनिटेक और जेपी जैसी बड़ी रीयल्टी कंपनियों ने कुमार के सहयोगियों के कारनॉस्टी ग्रुप में बैकडोर से 376 करोड़ रुपये इन्वेस्ट किए।
इंडियन एक्सप्रेस के सवालों के जवाब में इन कंपनियों ने कहा कि सभी ट्रांजैक्शन कानूनी रूप से सही हैं और राज्य सरकार से इसका कोई लेना-देना नहीं है। मायावती ने इस मसले पर अखबार के सवालों का जवाब तो नहीं दिया लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस करके पिछले दिनों साफ किया कि किसी भी तरह की अनियमितता नहीं बरती गई है।
इससे पहले इकनॉमिक टाइम्स दावा कर चुका है कि कुमार की कुछ कंपनियों ने करीब 760 करोड़ रुपए के कैश ट्रांजैक्शन किए हैं। इतनी ज्यादा रकम के स्रोत को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। इकनॉमिक टाइम्स ने रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज को फाइल किए गए डॉक्युमेंट्स की जांच की है। इससे पता चला है कि कुमार की कंट्रोलिंग वाली सिर्फ एक कंपनी का ठोस बिजनेस है। बाकी कंपनियां 2007 में मायावती के मुख्यमंत्री बनने के बाद बनाई गई थीं।
कुमार की 50 कंपनियों में से केवल होटेल लाइब्रेरी क्लब प्राइवेट लिमिटेड ही 2007 से पहले रजिस्टर्ड हुई है। बाकी 49 कंपनियां आनंद कुमार ने 2007 में मायावती के यूपी की सीएम बनने के बाद बनाईं। इन कंपनियों के कारोबार के बारे में कोई जानकारी नहीं है, लेकिन बैंक अकाउंट में करोड़ों रुपये पड़े हैं। मार्च 2012 तक कुमार की सभी कंपनियों की संपत्ति 750 करोड़ रुपये थी। होटेल लाइब्रेरी क्लब का मुख्यालय मसूरी में है और इसका मुख्य बिजनस होटेल शिल्टन है। इसका शेयर कैपिटल 24 लाख रुपये है और मार्च 2012 के अंत में होल्डिंग कंपनी के ऐसेट्स 287 करोड़ रुपये थे। खास बात यह है कि ऐसेट्स का ज्यादातर हिस्सा कैश है। मार्च 2008 के अंत में इस कंपनी के मात्र 43 करोड़ के ऐसेट्स थे।
2007-08 में आनंद कुमार के दो पूर्व बिजनेस सहयोगियों और उनकी एक फर्म का जुड़ाव एक दूसरे बिजनेस ग्रुप कारनॉस्टी मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड से हुआ। यह कंपनी सितंबर 2006 में जनकपुरी में रजिस्टर्ड हुई थी। 2010 से 2012 के बीच में रीयल एस्टेट कंपनियों डीएलफ और यूनिटेक ने कारनॉस्टी में क्रमश: 6 करोड़ और 335 करोड़ रुपये निवेश किए। हालांकि, इन दोनों कंपनियों का कहना है कि इन्वेस्टमेंट सामान्य बिजनस ट्रांजैक्शन हैं। यहां गौर करने वाली बात है कि डीएलफ, यूनिटेक और जेपी ग्रुप के कारनॉस्टी के साथ जॉइंट वेंचर हैं। इन तीनों नामी रीयल्टी कंपनियों के यूपी में कई रीयल्टी प्रॉजेक्ट्स हैं।
होटल लाइब्रेरी क्लब तीन अन्य फर्मों में होल्डिंग कंपनी है। इन तीनों कंपनियों के पास मार्च 2012 के अंत में 320 करोड़ रुपये का बैंक बैलेंस था। होटल लाइब्रेरी क्लब की तीन सब्सिडरीज कंपनियों में से एक रेवॉल्यूशनरी रीयल्टर्स ने पिछले फाइनैंशल इयर में स्पेकुलेशन बिजनेस (अनुमान लगाने का व्यवसाय) से 60 करोड़ की कमाई की। मार्च 2012 के अंत में कंपनी के पास 54 करोड़ का बैंक बैलेंस था। रेवॉल्यूशनरी रीयल्टर्स की सब्सिडरी कंपनी तमन्ना डिवेलपर्स के पास मार्च 2012 में 160 करोड़ का अतिरिक्त कैश था। होटेल लाइब्रेरी क्लब और रेवॉल्यूशनरी रीयल्टर्स के मैनेजिंग डायरेक्टर के नाते आनंद कुमार दोनों कंपनियों से 1.2 करोड़ की सालाना सैलरी लेते हैं।
एसडीएस ग्रुप के रीयल एस्टेट डिवेलपर दीपक बंसल, कुमार की दो कंपनियों में करीबी सहयोगी रह चुके हैं। वह उनकी दो कंपनियों- होटेल लाइब्रेरी क्लब और डीकेबी इन्फ्रास्ट्रक्चर में डायरेक्टर भी थे। बंसल की फर्म नोएडा और ग्रेटर नोएडा में 2500 अपार्टमेंट्स बना रही है और वही कारनॉस्टी में इन्वेस्ट करने वाली दिग्गज रीयल्टी कंपनियों और कुमार की कंपनियों के बीच की कड़ी हैं। कुमार और कारनॉस्टी के बीच दूसरी अहम कड़ी चार्टर्ड अकाउंटेंड शुभेंदु तिवारी हैं। शुभेंदु कुमार की दो कंपनियों रेवॉल्यूशनरी रीयल्टर्स और शिवानंद रीयल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड में डायरेक्टर रह चुके हैं। कुमार और कारनॉस्टी ग्रुप के बीच एक बात और कॉमन है। दोनों का चार्टर्ड अकाउंटेंट प्रशांत कुमार ऐंड असोसिएट्स है। कारनॉस्टी की पिछले फाइनैंशल इयर की रिपोर्ट प्रशांत कुमार ने ही तैयार की है।
कारनॉस्टी में कुल 14 सब्सिडरीज हैं। ये सारी सब्सिडरीज 2007 में मायावती के सत्ता में आने के बाद बनाई गईं। बंसल की कंपनी एसडीएस डिवेलपर्स भी कारनॉस्टी की सब्सिडरी है। शुभेंदु तिवारी कारनॉस्टी की सभी 14 सब्सिडरी में डायरेक्टर थे। मार्च 2012 तक कारनॉस्टी के पास 620 करोड़ की संपत्ति थी। इसमें से 376 करोड़ रुपये दिग्गज रीयल्टी कंपनियों ने निवेश किए थे।
गौर करने लायक बात यह है कि डीएलएफ, यूनिटेक, शिवालिक वेंचर्स (यूनिटेक की कंपनी) और ओमकार रीयल्टर्स ने कारनॉस्टी में 'क्लास बी इक्विटी' के जरिए निवेश किया। क्लास बी इक्विटी लेने पर निवेश करनी वाली कंपनी के पास वोटिंग राइट नहीं होता है। इन रीयल्टी कंपनियों ने 10 रुपये के शेयर के लिए कारनॉस्टी को 1490 रुपये प्रीमियम दिया।
साभार
नवभारतटाइम्स.कॉम | Jan 31, 2013, 12.49PM IST
http://navbharattimes.indiatimes.com/realty-giants-in-web-of-firms-linked-to-mayas-brother/articleshow/18269485.cms
इंडियन एक्सप्रेस के सवालों के जवाब में इन कंपनियों ने कहा कि सभी ट्रांजैक्शन कानूनी रूप से सही हैं और राज्य सरकार से इसका कोई लेना-देना नहीं है। मायावती ने इस मसले पर अखबार के सवालों का जवाब तो नहीं दिया लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस करके पिछले दिनों साफ किया कि किसी भी तरह की अनियमितता नहीं बरती गई है।
इससे पहले इकनॉमिक टाइम्स दावा कर चुका है कि कुमार की कुछ कंपनियों ने करीब 760 करोड़ रुपए के कैश ट्रांजैक्शन किए हैं। इतनी ज्यादा रकम के स्रोत को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। इकनॉमिक टाइम्स ने रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज को फाइल किए गए डॉक्युमेंट्स की जांच की है। इससे पता चला है कि कुमार की कंट्रोलिंग वाली सिर्फ एक कंपनी का ठोस बिजनेस है। बाकी कंपनियां 2007 में मायावती के मुख्यमंत्री बनने के बाद बनाई गई थीं।
कुमार की 50 कंपनियों में से केवल होटेल लाइब्रेरी क्लब प्राइवेट लिमिटेड ही 2007 से पहले रजिस्टर्ड हुई है। बाकी 49 कंपनियां आनंद कुमार ने 2007 में मायावती के यूपी की सीएम बनने के बाद बनाईं। इन कंपनियों के कारोबार के बारे में कोई जानकारी नहीं है, लेकिन बैंक अकाउंट में करोड़ों रुपये पड़े हैं। मार्च 2012 तक कुमार की सभी कंपनियों की संपत्ति 750 करोड़ रुपये थी। होटेल लाइब्रेरी क्लब का मुख्यालय मसूरी में है और इसका मुख्य बिजनस होटेल शिल्टन है। इसका शेयर कैपिटल 24 लाख रुपये है और मार्च 2012 के अंत में होल्डिंग कंपनी के ऐसेट्स 287 करोड़ रुपये थे। खास बात यह है कि ऐसेट्स का ज्यादातर हिस्सा कैश है। मार्च 2008 के अंत में इस कंपनी के मात्र 43 करोड़ के ऐसेट्स थे।
2007-08 में आनंद कुमार के दो पूर्व बिजनेस सहयोगियों और उनकी एक फर्म का जुड़ाव एक दूसरे बिजनेस ग्रुप कारनॉस्टी मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड से हुआ। यह कंपनी सितंबर 2006 में जनकपुरी में रजिस्टर्ड हुई थी। 2010 से 2012 के बीच में रीयल एस्टेट कंपनियों डीएलफ और यूनिटेक ने कारनॉस्टी में क्रमश: 6 करोड़ और 335 करोड़ रुपये निवेश किए। हालांकि, इन दोनों कंपनियों का कहना है कि इन्वेस्टमेंट सामान्य बिजनस ट्रांजैक्शन हैं। यहां गौर करने वाली बात है कि डीएलफ, यूनिटेक और जेपी ग्रुप के कारनॉस्टी के साथ जॉइंट वेंचर हैं। इन तीनों नामी रीयल्टी कंपनियों के यूपी में कई रीयल्टी प्रॉजेक्ट्स हैं।
होटल लाइब्रेरी क्लब तीन अन्य फर्मों में होल्डिंग कंपनी है। इन तीनों कंपनियों के पास मार्च 2012 के अंत में 320 करोड़ रुपये का बैंक बैलेंस था। होटल लाइब्रेरी क्लब की तीन सब्सिडरीज कंपनियों में से एक रेवॉल्यूशनरी रीयल्टर्स ने पिछले फाइनैंशल इयर में स्पेकुलेशन बिजनेस (अनुमान लगाने का व्यवसाय) से 60 करोड़ की कमाई की। मार्च 2012 के अंत में कंपनी के पास 54 करोड़ का बैंक बैलेंस था। रेवॉल्यूशनरी रीयल्टर्स की सब्सिडरी कंपनी तमन्ना डिवेलपर्स के पास मार्च 2012 में 160 करोड़ का अतिरिक्त कैश था। होटेल लाइब्रेरी क्लब और रेवॉल्यूशनरी रीयल्टर्स के मैनेजिंग डायरेक्टर के नाते आनंद कुमार दोनों कंपनियों से 1.2 करोड़ की सालाना सैलरी लेते हैं।
एसडीएस ग्रुप के रीयल एस्टेट डिवेलपर दीपक बंसल, कुमार की दो कंपनियों में करीबी सहयोगी रह चुके हैं। वह उनकी दो कंपनियों- होटेल लाइब्रेरी क्लब और डीकेबी इन्फ्रास्ट्रक्चर में डायरेक्टर भी थे। बंसल की फर्म नोएडा और ग्रेटर नोएडा में 2500 अपार्टमेंट्स बना रही है और वही कारनॉस्टी में इन्वेस्ट करने वाली दिग्गज रीयल्टी कंपनियों और कुमार की कंपनियों के बीच की कड़ी हैं। कुमार और कारनॉस्टी के बीच दूसरी अहम कड़ी चार्टर्ड अकाउंटेंड शुभेंदु तिवारी हैं। शुभेंदु कुमार की दो कंपनियों रेवॉल्यूशनरी रीयल्टर्स और शिवानंद रीयल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड में डायरेक्टर रह चुके हैं। कुमार और कारनॉस्टी ग्रुप के बीच एक बात और कॉमन है। दोनों का चार्टर्ड अकाउंटेंट प्रशांत कुमार ऐंड असोसिएट्स है। कारनॉस्टी की पिछले फाइनैंशल इयर की रिपोर्ट प्रशांत कुमार ने ही तैयार की है।
कारनॉस्टी में कुल 14 सब्सिडरीज हैं। ये सारी सब्सिडरीज 2007 में मायावती के सत्ता में आने के बाद बनाई गईं। बंसल की कंपनी एसडीएस डिवेलपर्स भी कारनॉस्टी की सब्सिडरी है। शुभेंदु तिवारी कारनॉस्टी की सभी 14 सब्सिडरी में डायरेक्टर थे। मार्च 2012 तक कारनॉस्टी के पास 620 करोड़ की संपत्ति थी। इसमें से 376 करोड़ रुपये दिग्गज रीयल्टी कंपनियों ने निवेश किए थे।
गौर करने लायक बात यह है कि डीएलएफ, यूनिटेक, शिवालिक वेंचर्स (यूनिटेक की कंपनी) और ओमकार रीयल्टर्स ने कारनॉस्टी में 'क्लास बी इक्विटी' के जरिए निवेश किया। क्लास बी इक्विटी लेने पर निवेश करनी वाली कंपनी के पास वोटिंग राइट नहीं होता है। इन रीयल्टी कंपनियों ने 10 रुपये के शेयर के लिए कारनॉस्टी को 1490 रुपये प्रीमियम दिया।
साभार
नवभारतटाइम्स.कॉम | Jan 31, 2013, 12.49PM IST
http://navbharattimes.indiatimes.com/realty-giants-in-web-of-firms-linked-to-mayas-brother/articleshow/18269485.cms
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