Sunday, September 22, 2013

गैस आयात घोटाला : सेंट्रल एक्साइज के चार अधिकारी निलंबित

इंदौर: चायना से एअर कंडिशनर्स और रेफ्रीजरेटर्स की गैस के गैरकानूनी आयात में साथ देकर बड़ी कस्टम ड्यूटी चोरी में अहम भूमिका निभाने वाले सेंट्रल एक्साइज के चार अधिकारियों को डायरेक्टर आफ रेवेन्यू इंटेलीजेंस (डीआरआई) की जांच रिपोर्ट के आधार पर मंगलवार शाम विभाग ने निलंबित कर दिया। चारों अधिकारी २०१२-१३ में इनलैंड कंटेनर डिपो (आईसीडी), धन्नड़ में नियुक्त थे।

निलंबित होने वाले अधिकारियों में एक सहायक आयुक्त, दो अधीक्षक और एक निरीक्षक शामिल हैं। बहरहाल, डीआरआई ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि अधिकारियों की मिलीभगत से कितनी अवधि में कितने का प्रतिबंधित सामान आयात किया गया और कितने की कर चोरी की गई।

मामला आईसीडी, धन्नड़ का है। यहां २०१२-१३ में बतौर सहायक आयुक्त सुब्रतो चटराज, अधीक्षक विनायक जोशी, मांगीलाल चौहान और निरीक्षक राजेश पुरानिया नियुक्त थे। इनके खिलाफ डीआरआई ने सालभर पहले जांच शुरू की थी। रिपोर्ट सोमवार को सेंट्रल एक्साइज आयुक्त जय प्रकाश को भेज दी गई। रिपोर्ट में न सिर्फ अधिकारियों द्वारा की गई धांधली की पुष्टि हुई बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया गया कि दोषियों को तत्काल हटाया जाना चाहिए।

डीआरआई की इसी रिपोर्ट के आधार पर आयुक्त ने दोषी अधिकारियों का सस्पेंशन लेटर जारी कर दिया। लेटर मंगलवार शाम जारी हुआ। इससे पहले जब धांधली सामने आई थी, तब सहायक आयुक्त चटराज का ताबड़तोड़ ट्रांसफर कर दिया गया था।

प्रतिबंध के बावजूद हुआ गैस का आयात
मुंबई और सूरत की कुछ कंपनियों ने आईसीडी धन्नड़ की मैन्युअल वर्किंग और अधिकारियों के असहयोगी रवैये का फायदा उठाते हुए सेंटर खोल दिए हैं। ये कंपनियां मुंबई, सूरत, अहमदाबाद से माल मंगाने के बजाय इंदौर से काम करती हैं।

इसी कड़ी में कुछ कंपनियां ऐसी हैं जो एअर कंडिशनर्स और रेफ्रीजरेटर्स का काम करती हैं। ये चायना और जापान से प्रतिबंध के बावजूद गैस आयात करती हैं। सरकारी सख्ती से बचते हुए माल को सही सलामत लाने के लिए कंपनियों ने अधिकारियों के साथ मिलकर प्रतिबंधित आइटम का कोड बदलकर ऐसा आइटम बना दिया जिसके आयात पर प्रतिबंध नहीं है। बदले कोड के साथ गैस इंदौर पहुंची और यहां से अलग-अलग शहरों में।

ऐसे पकड़ाई...
कर चोरी के लिए बदनाम हो चुके आईसीडी धन्नड़ में डीआरआई की टीम ने दबिश दी। गैसे से लदे एक कंटेनर को पकड़ा गया। अंदाजे से अधिकारियों ने एक से डेढ़ करोड़ की ड्यूटी भरने को कहा। संबंधित कंपनी ने तत्काल हां कर दी। इससे डीआरआई के अधिकारियों का माथ ठनका और उन्होंने दस्तावेज मांग लिए। दस्तावेजों के मुताबिक ६ लाख रुपए प्रति कंटेनर की ड्यूटी जमा कराई गई थी। तत्काल अधिकारियों ने कंटेनर जब्त कर लिया। इसी बीच पता चला कि कंपनी के और भी कंटेनर ऐसे ही निकले हैं, उन्हें भी पकड़ा गया।

दस्तावेजों के आकलन के बाद पता चला कि एक कंटेनर में तकरीबन ५ करोड़ का माल था जिस पर कंपनी २० प्रतिशत के हिसाब से १ करोड़ रुपए तक जमा करने के लिए तैयार थी जबकि दस्तावेजों में ६ लाख रुपए की ड्यूटी जमा कराई गई यानी एक कंटेनर में ३० लाख का ऑन रिकॉर्ड माल था। अन्य गाड़ियों की जांच के बाद पता चला कि ४० करोड़ के माल को २.५० करोड़ का बताकर न सिर्फ आयात किया गया जबकि ड्यूटी ही ८ करोड़ रुपए की बनना थी।

अधिकारियों की क्या भूमिका...
चूंकि चारों अधिकारी आईसीडी पर तैनात थे और हर कंटेनर चेक करके यह सुनिश्चित करना कि आयात या निर्यात किया जा रहा सामान मापदंडों के अनुरूप है या नहीं उनका काम है। ऐसे में डीआरआई ने इस बिंदु पर जांच की कि आला अधिकारियों की तैनाती के बावजूद कोई कंपनी ४० करोड़ के माल को २.५० करोड़ रुपए का बताकर कैसे आयात कर सकती है। अधिकारियों ने २.५० करोड़ रुपए पर ४८ लाख रुपए ड्यूटी कैसे और क्या देखकर ली। अधिकारियों ने कंटेनर क्यों नहीं जांचा? जांचा तो प्रतिबंधित गैस के कंसाइनमेंट को आईसीडी पर ही क्यों नहीं जब्त किया गया?

आगे क्या...- जांच रिपोर्ट के आधार पर डीआरआई सेंट्रल एक्साइज आयुक्त को तीन महीने में दोषियों की चार्जशीट देगा जो कि उसके पास तैयार है।
- चार्जशीट में उल्लेखित आरोपों का निर्धारित समय में आरोपियों को जवाब देना होगा।
- जवाब संतोषजनक न होने की स्थिति में डीआरआई-सेंट्रल एक्साइज कोर्ट की शरण ले सकता है।

इंदौर से तीन निलंबित...इंदौर में पदस्थ कुल तीन अधिकारी जिनमें दो अधीक्षक है और एक निरीक्षक को निलंबित किया गया है। रहा सवाल चौथे व्यक्ति यानी सहायक आयुक्त को तो उनका इंदौर से तबादला हो चुका है। वे हमारे सर्कल से बाहर हैं और उनके बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं। निलंबन डीआरआई की प्राथमिक जांच रिपोर्ट पर हुआ।
साभार:
Posted On:Thursday 5/09/2013
http://dabangdunia.co/news.php?newsid=879eb78692be0939f84fdda8a38c337f#.Uj7jVVONCSo

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