Thursday, August 2, 2012

हसन अली: कबाड़ी बन गया खरबपति कारोबारी, देश का सबसे बड़ा टैक्‍स ‘चोर’

देश में टैक्‍स चोरी के सबसे बड़े आरोपी हसन अली खान की असल जिंदगी किसी फिल्‍मी कहानी जैसी लगती है। पुणे के इस व्यवसायी पर स्विस बैंक में करीब आठ अरब अमेरिकी डॉलर का काला धन जमा करने का आरोप है। लेकिन उसने कबाड़ का धंधा करने की बात कबूल की थी। उसका कहना है कि इस धंधे से उसे सालाना 30 लाख रुपये की कमाई होती है। लेकिन शानदार पार्टियां व घुड़दौड़ आयोजित करने के साथ महंगी कारें रखने के शौकीन हसन अली पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का शिकंजा कसता जा रहा है।

खान की कहानी की शुरुआत हैदराबाद से होती है। वह हैदरबाद में तैनात रहे एक्‍साइज अफसर का बेटा है। खान के शुरुआती दिनों के बारे में कई बाते सामने आती रही हैं लेकिन वह चर्चा में उस वक्‍त आया जब उसके पास बड़े पैमाने पर काला धन की बात सामने आई। शुरुआती दिनों में उसने पुरानी चीजें बेचने सहित कई तरह के धंधे किए। हसन अली का दावा है कि वह हैदराबाद के निजाम के खानदान से ताल्‍लुक रखता है।

घुड़दौड़ के कारोबार की दुनिया से वह 1990 के शुरुआत में जुड़ा जब वह हैदराबाद में ही रहता था। बाद में वह इसी कारोबार से जुड़े रहते हुए मुंबई गया फिर पुणे और अन्‍य शहरों का रुख किया। कहा जाता है कि उसने अपनी पहली पत्‍नी को तलाक दे दिया है जिसके साथ वह हैदराबाद में रहता था। वह रहीमा (मौजूदा पत्‍नी) से शादी करने के बाद पुणे जाकर बस गया। देश के कोने में कहीं भी होने वाले घुड़दौड़ में अक्‍सर यह जोड़ी दिख जाती है।

मुंबई के कोर्ट में चल रहे हसन अली केस में कोर्ट ने ईडी को फटकार भी लगाई है। स्‍पेशल कोर्ट ने जांच एजेंसी से पूछा किया कि काले धन को लेकर हसन अली को कस्टडी में रखने के लिए अभी तक कोई मुकदमा क्‍यों नहीं दर्ज की है। 58 साल के हसन के मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र सरकार को मंगलवार को फटकार लगाई थी।

शीर्ष अदालत ने सरकार से पूछा कि हथियार कारोबारियों और आतंकी गतिविधियों में लिप्त लोगों से संपर्क रखने के आरोप में हसन अली के खिलाफ पोटा सहित अन्य सख्त कानूनों के तहत मुकदमा क्यों नहीं दर्ज कराया गया? विदेशों में काला धन रखने के आरोप में ईडी ने हसन को गत सोमवार देर रात गिरफ्तार किया था। आयकर विभाग ने 2007 में हसन अली के घर छापा भी मारा था। आरोप है कि हसन अली विदेशी बैंकों में काला धन जमा करने वाले भारतीयों के लिए एजेंट के तौर काम करता है। इसके बदले वह ऐसे लोगों से कमीशन वसूलता है। खान पर 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक की कर चोरी का आरोप है। सरकार ने पिछले साल राज्‍य सभा में एक सवाल के जवाब में कहा था कि हसन अली पर यह बकाया ब्‍याज सहित 70 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक हो गया है।

ईडी ने 2007 में स्विस बैंक से हसन अली के एकाउंट का ब्‍यौरा मांगा था। लेकिन स्विस बैंक ने उससे जुड़ी जानकारियां भारतीय जांच एजेंसियों को साझा करने से मना कर दिया था। उन्‍होंने इसके लिए तकनीकी कारणों का हवाला देते हुए कहा कि भारत में टैक्‍स रिटर्न फाइल नहीं करना स्विट्जरलैंड के कानूनों के तहत अपराध नहीं है।
साभार: रामा टाईम्स, March 10th, 2011
http://ramatimes.com/?p=16873

कानूनी शिकंजे में आया डर्बी किंग हसन अली

32 हजार करोड का मालिक और डर्बी किंग हसन अली अब पुलिस की गिरफ्त में है. उसके खिलाफ फर्जी पासपोर्ट के दो मामले दर्ज थे. पुलिस को उसकी तलाश काफी अर्से थी.

हसन अली की गिरफ्तारी के लिए मुम्बई पुलिस कई दिनों से ख़ाक छानती फ़िर रही थी. इसने एक ही नाम पर फर्जी दस्तावेजो की बिना पर तीन पासपोर्ट बनवा रखे थे. अली हसन ने 1986 में पहला पासपोर्ट हैदराबाद से बनवाया, उसके बाद फर्जी नाम और पता देकर दो और पासपोर्ट मुंबई और पटना से बनवाए.

हसन का नाम तब सामने आया जब इसके पास से करोडो रुपये की नामी और बेनामी सम्पति रखने का खुलासा हुआ. इसी की जांच करते हुए एन्फोर्समेंट डाईरेकटोरेट ने पाया की हसन के पास कई फर्जी पासपोर्ट है, लेकिन इससे पहले पुलिस उसे दबोचती वो गायब हो गया .और अपनी संपत्ति की कुर्की और गिरफ्तारी पर रोक लगाने के लिए कोर्ट से स्टे आर्डर ले आया.

सोमवार को उसको अदालत से मिली इस राहत का आखरी दिन था, लिहाजा वो कोर्ट में पेश हो गया लेकिन पुलिस की अर्जी पर कोर्ट ने उसे बजाय जमानत के पुलिस हिरासत दे दी.

पुलिस ये जानना चाहती है कि इस बीच इसने किन किन देशो की यात्रा की. पुलिस ये भी जानना चाहती है कि इसने दुश्मन देश से मिलकर भारत में आंतकी कार्रवाई की फंडिग तो नही की.
साभार: आज तक ब्‍यूरो, मुंबई, 16 दिसम्बर 2008
http://aajtak.intoday.in/story.php/content/view/4845/13/0

हसन अली और उसके साथियों पर 71, 854 करोड़ टैक्स बकाया

नई दिल्ली।। टैक्स चोरी और हवाला के केस में गिरफ्तार पुणे के व्यापारी हसन अली और उसके सहयोगियों पर कितना टैक्स बकाया होगा ? अब तक आप पढ़ते आ रहे होंगे कि हसन अली से 40 हजार करोड़ रुपये टैक्स वसूले जाने हैं, लेकिन इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने अब इस आकड़े को संशोधित कर लिया है। आईटी डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने हसन अली और उसके सहयोगियों से अब 71 हजार 845 करोड़ रुपये टैक्स की मांग की है।

आप यह जानकर चौंक सकते हैं कि यह आंकड़ा देश के हेल्थ बजट और सालान वसूले जाने वाले सर्विस टैक्स से ज्यादा है। इसके अलावा, यह राशि हमारे देश के इस साल के रक्षा बजट (1 लाख 64 हजार करोड़ रुपये) से आधे से थोड़ ही कम है। जाहिर है जब टैक्स बकाया इतना है तो कमाई कितनी होगी।

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के आकलन के मुताबिक, हसन अली पर ही 50 हजार 329 करोड़ टैक्स बकाया है, जबकि उसकी पत्नी रहीमा को 49 करोड़ रुपये टैक्स देना होगा। हसन अली के सहयोगी काशीनाथ पर 591 करोड़ रुपये और उसकी पत्नी चंद्रिका पर 20 हजार 540 करोड़ रुपये टैक्स बनता है।

हसन अली के खिलाफ जांच तो सन् 2007 से ही चल रही है लेकिन इस मामले में तेजी पिछले सप्ताह से आई है जब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई। रोचक बात यह है कि सरकार ने ही 2009 में ऐफ़िडेविट के जरिए कोर्ट को बताया था कि हसन अली, उसकी पत्नी रहीमा और सहयोगियों से 71,848.59 करोड़ रुपये टैक्स चुकाने को कहा है।

दूसरी तरफ, हसन अली के लिए 14 दिन की रिमांड मांग रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को बुधवार को अदालत की कड़ी फटकार सुननी पड़ी। मुंबई के चीफ सेशन जज एम.एल. तहलियानी ने ईडी की वकील को पूरी तैयारी के साथ आने की हिदायत देते हुए 53 वर्षीय हसन अली को गुरुवार सुबह फिर अदालत में पेश करने के निर्देश दिए।

ईडी ने सोमवार को हसन अली को उसके पुणे स्थित घर से हिरासत में लिया। इसके बाद उसी रात मुंबई में पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया था, तब से अब तक उसे दो बार जज तहलियानी के सामने पेश किया जा चुका है। तहलियानी ने बुधवार को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग (अवैध धन को वैध बनाने) की धारा-44 के तहत मामले की सुनवाई शुरू की तो ईडी की वकील नीति पुंडे अपने तर्को से अदालत को सहमत नहीं कर पाईं। इस पर तहलियानी ने उन्हें लगभग फटकारते हुए कहा, ' आप कोई भी मामला बनाने में सक्षम नहीं हैं और चाहती हैं कि मैं आपको सुनूं। आप आरोपी की क्यों रिमांड चाहते हैं। आप अली के खिलाफ एक आरोप पुष्ट करें, मैं रिमांड दे दूंगा। '

जज ने यह कहते हुए मामले की सुनवाई गुरुवार तक के लिए टाल दी कि यदि आपको तैयारी करनी है तो आप समय ले सकते हैं।

ईडी की वकील नीति पुंडे ने अदालत में कहा, ' हसन अली के अंतरराष्ट्रीय हथियार व्यवसायी अदनान खशोगी से संबंध हैं और उसने स्विस बैंक में 8 अरब अमेरिकी डॉलर जमा कर रखे हैं। '
साभार: नवभारत टाईम्स, 10 Mar 2011, 1033 hrs IST,टाइम्स न्यूज नेटवर्क 
http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/7668988.cms

हसन अली का खुलासा, 3 पूर्व CM का पैसा उसके खाते में

प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) की पूछताछ में हसन अली ने खुलासा किया है कि उसके खाते में महाराष्ट्र के पूर्व तीन मुख्यमंत्रियों का पैसा जमा है। एक अखबार के मुताबिक हसन अली ने ईडी के अफसरों को बताया है कि उसके अकाउंट में जमा हजारों करोड़ रुपए में से एक बड़ा हिस्सा देश के कई बड़े नेताओं और नौकरशाहों का है। अली ने ये पैसे स्विस बैंक और दूसरे अकाउंट्स में जमा करवाए थे। इन बड़े नेताओं में महाराष्ट्र के तीन पूर्व मुख्यमंत्री भी शामिल हैं।

हालांकि ईडी ने इन मुख्यमंत्रियों और नेताओं के नाम का खुलासा नहीं किया है। हसन के इस खुलासे ने ईडी की मुश्किल आसान कर दी है जो अब तक सही जांच नहीं करने पर कोर्ट की फटकार झेल रहा था। जांच से जुड़े अफसरों का कहना है कि हसन अली, स्टॉक मार्केट के कुछ हवाला कारोबारियों की मदद से अपना ही बैंकिंग नेटवर्क चला रहा था। जिसमें देश के कई बड़े नेता और आला अफसर भी शामिल थे। अली इसके जरिए नेताओं के काले धन को सफेद करने का काम करता था।

हसन अली से पूछताछ के बाद ईडी के अफसरों ने यूबीएस, बार्क्लेज और क्रेडिट सुईस बैंकों के भारतीय अधिकारियों को तलब कर उनसे अली के खातों के बारे में जानकारी मांगी है।

दरअसल मशहूर घोड़ा व्यपारी और टैक्स चोरी का आरोपी हसन अली का मामला अब और तूल पकड़ रहा है। हसन अली से पूछताछ कर चुके एक डीसीपी के सस्पेंशन ने विवाद को और तूल दिया है। डीसीपी के सस्पेंशन के मुद्दे पर सोमवार को विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। माना जा रहा है कि डीसीपी के जरिए कई नेताओं के चेहरे से नकाब हट सकता है।

आदर्श घोटाले के बाद हसन अली महाराष्ट्र सरकार के लिए सिरदर्द साबित हो रहा है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार हसन अली के मामले की निष्पक्ष तरीके से जांच नहीं होने दे रही है। और इसका नजीर है जीआरपी के डीसीपी अशोक देशभरतार का निलंबन। आखिर डीसीपी का गुनाह क्या था? असल में डीसीपी अशोक भरतार ने ही 2008 में फर्जी पासपोर्ट मामले में हसन अली को गिरफ्तार किया था। तब हसन अली से 1 घंटे तक पूछताछ हुई थी। इस पूछताछ में अली ने कई नेताओं के नाम लिए थे। डीसीपी अशोक देश भरतार ने उस पूछताछ का एक वीडियो सीडी बनवाया था, जो बाद में मीडिया तक पहुंच गई थी।

साफ है डीसीपी देश भरतार हसन अली मामले की जांच की अहम कड़ी थे। माना जा रहा है कि डीसीपी की पूछताछ के जरिए कई सफेदपोश नेताओं के चेहरे से नकाब उतर सकता है। फिलहाल हसन अली ईडी की हिरासत में हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हिरासत की समय सीमा 3 दिन और बढ़ा दी है। अब एक तरफ हसन अली हैं और दूसरी तरफ डीसीपी देश भरतार हैं। दोनों में से किसी एक ने भी अगर मुंह खोल दिया और नेताओं के नाम बाहर आ गए तो महाराष्ट्र सरकार की किरकिरी होने से कोई रोक नहीं पाएगा।
साभार: आईबीएन-7, Mar 22, 2011
http://khabar.ibnlive.in.com/news/50227/1


हसन अली की दौलत का राज

हसन अली का केस दिन-ब-दिन और अजीबोगरीब होता जा रहा है। पुणो स्थित घोड़ों के फार्म के मालिक पर बकाया कर की दरें नियमित रूप से बढ़ती रहीं। हाल ही में बकाया राशि में दंड की राशि भी जोड़ दी गई और उसे एक लाख करोड़ रुपयों के राउंड फिगर में तब्दील कर दिया गया।

एक लाख करोड़ रुपयों का कर बकाया होने के बावजूद अभी तक यह नहीं पता चला है कि हसन अली के स्विस बैंक खाते में पैसा कहां से आया। इस दौरान अफवाहें जंगल की आग की तरह फैलती रहीं। कुछ लोग कहते रहे कि यह पैसा महाराष्ट्र के एक प्रभावशाली नेता का है, जो इन दिनों हर किसी के निशाने पर बने हुए हैं। कुछ अन्य कहते रहे कि पैसा तमिलनाडु के एक राजनेता का है, जो इन दिनों सत्ता से बेदखल हैं।

कुछ ने दबी जुबान से यह भी कहा कि वास्तव में पैसा आंध्रप्रदेश के एक राजनेता का है, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। जहां राम जेठमलानी अदालत में नाटकीय रूप से कह रहे हैं कि इसमें ऊपर तक के लोग शामिल हैं, वहीं आम राय यह है कि यह पैसा कई राजनेताओं और कारोबारियों का है और हसन अली उनके लिए महज एक बैंकर है।

इस फेहरिस्त में सऊदी के हथियार व्यापारी अदनान खाशोग्गी भी शामिल हैं, जिन्होंने एक बार शेखी बघारते हुए कहा था कि वे दुनिया के सबसे दौलतमंद शख्स हैं। लेकिन यह पैसा चाहे किसी का भी हो, इतना तो तय है कि वह व्यक्ति इतना ताकतवर है कि हसन अली हिरासत में होने के बावजूद मुंह पर ताला लगाए हुए है। कोई भी यह सुराग पाने में कामयाब नहीं हो पाया है कि इतना सारा पैसा आखिर आया कहां से।

लेकिन यह तो है कि टैक्स डिफॉल्टरों की सूची में हसन अली ने दिवंगत हर्षद मेहता को भी पछाड़ दिया है। एक लाख करोड़ रुपए कोई छोटी-मोटी रकम नहीं होती। खासतौर पर तब, जब उसकी बुनियाद में महज अटकलें और अनुमान हों। अभी तक न तो हसन अली और न ही उसकी दूसरी खूबसूरत बीवी रीमा के विरुद्ध कुछ साबित किया जा सका है।

जांच एजेंसियां अब इस उम्मीद में रीमा पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं कि शायद वे उसके जरिये स्विस बैंक खातों के पीछे छिपे गहरे राजों को फाश कर सकेंगी। यहां तक कि पिछले माह सर्वोच्च अदालत ने भी प्रदेश सरकार से पूछा कि हसन अली के रहस्यपूर्ण लेन-देनों के बारे में अधिक जानकारियां हासिल करने के लिए पर्याप्त प्रयास क्यों नहीं किए जा सके। हिरासत में की गई पूछताछ का भी कोई फायदा नहीं हुआ। सबसे अहम सवाल अब भी अपनी जगह पर बरकरार है : क्या यह पैसा हसन अली का है? यदि हां, तो उसे आठ अरब डॉलर कहां से मिले और किसलिए? क्या यह भुगतान के रूप में चुकाई गई रकम है? यदि हां तो किसने इतनी बड़ी रकम चुकाई और क्यों?

दंड राशि और ब्याज को एक तरफ करने के बावजूद हसन अली पर वास्तविक टैक्स क्लेम 72 हजार करोड़ रुपयों का बताया जा रहा है। यह इतनी बड़ी रकम है कि इससे भारत के छह लाख गांवों को पेयजल मुहैया कराया जा सकता है। इसके बावजूद इस व्यक्ति और उसकी ‘फनी मनी’ के पीछे छिपे रहस्यों से पर्दा उठाने के प्रयास नहीं किए गए। यह ‘फनी मनी’ इसलिए है, क्योंकि अभी तक इस बात के कोई सबूत नहीं हैं, या अगर हैं तो कम से कम उन्हें सार्वजनिक नहीं किया गया है कि वास्तव में यह सारा पैसा हसन अली का ही है। यह पैसा किसी का भी हो सकता है। और शायद ऐसा है भी।

आयकर वाले दावा करते हैं कि अगर जरा भी और देर की गई तो मामले की समय सीमा समाप्त हो जाएगी। इसका यह मतलब है कि यह मामला उससे कहीं अधिक समय से चल रहा है, जितना कि हम जानते हैं। कर संबंधी मामलों की समय सीमा इतनी आसानी से समाप्त नहीं होती। इस स्थिति तक आने में वर्षो लग जाते हैं। तो संभव है कि किसी व्यक्ति ने या तो हसन अली या फिर उन लोगों को बचाने के लिए मामले में हस्तक्षेप किया है, जिनके पैसे की वह हिफाजत कर रहा था। अगर यह सच है कि पैसा किसी राजनेता का है तो इस देरी के राजनीतिक निहितार्थ भी हो सकते हैं।

वास्तव में अगर यह मामला अदालत तक न पहुंचा होता तो हसन अली अभी मजे से घूम रहा होता। निश्चित ही दाल में कहीं कुछ काला है। इसके बावजूद मैं उस व्यक्ति की बात पर भी भरोसा करता हूं, जो यह कहता है कि उसे जान का खतरा है। उसने देखा है कि किस तरह २जी मामले के मुख्य साक्षी सादिक बाचा की रहस्यपूर्ण स्थितियों में मौत हो गई। जिस डॉक्टर ने सादिक बाचा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसकी मृत्यु को आत्महत्या का मामला बताया था, वह अब एक चुनाव में उम्मीदवार है।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट देने के अगले ही दिन उसने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। क्या यह महज एक संयोग है? हो सकता है। हसन अली का गुनाह चाहे जो हो, लेकिन उसकी जान उसी दिन से खतरे में है, जिस दिन उसने एक पत्रकार को एक छोटी-सी पर्ची पर यह लिखकर दिया था कि उसे वास्तविक तथ्यों के सामने आने से पहले ही खत्म किया जा सकता है। क्या इसका मतलब यह है कि वह कुछ कहना चाहता है, लेकिन उसे कहने नहीं दिया जा रहा है?

इससे पहले कि हम हसन अली के बारे में अपना फैसला सुनाएं, हमारा पहला जिम्मा यह होना चाहिए कि हम उसकी जान की हिफाजत करें। भारत में कई मामलों का इसीलिए समाधान नहीं हो पाता, क्योंकि केस के किसी मुख्य व्यक्ति को जांच के दौरान ही ठिकाने लगा दिया जाता है। अकाल मृत्यु की स्थिति सुविधाजनक होती है। जो लोग हकीकत जानते हैं, वे मुंह पर ताला लगाकर बैठ जाते हैं। कुछ समय बाद मीडिया भी नए मामले की तलाश में जुट जाता है।

कोशिश की जानी चाहिए कि इस मामले का यह अंजाम न हो। हसन अली बुरा व्यक्ति हो सकता है। यह भी संभव है कि उसके अच्छे कनेक्शन हों। लेकिन इसके बावजूद आठ अरब डॉलर हवा से नहीं आ सकते। यह तभी संभव है जब वह किसी ऐसे व्यक्ति की ढाल बनकर खड़ा हुआ हो, जिसके बारे में उसे विश्वास है कि वह या तो उसे बचा सकता है या यदि उसने सच्चाई बयां की तो उसे जान से भी मार सकता है।
साभार: vichitra-vichitra.blogspot.in, Monday, July 18, 2011
http://vichitra-vichitra.blogspot.in/2011/07/blog-post_2839.html


हसन अली की पत्नी भी बड़ी कर चोर!

कहा जाता है कि हर सफल आदमी के पीछे किसी औरत का हाथ होता है। घोड़ों के व्यापारी हसन अली खान और उसके सहयोगियों के मामले में भी यह कहावत सच साबित होती दिख रही है। खान और उसके सहयोगी काशीनाथ तापड़िया की पत्नी इस पूरे मामले में महत्वपूर्ण सूत्र के रूप में उभर रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग जैसी एजेंसियां हसन अली के खिलाफ कर चोरी और मनी लांड्रिंग के मामलों की जांच कर रही हैं।

हसन अली की पत्नी रहीमा हसन अली खान और तापड़िया की पत्नी चंद्रिका तापड़िया इस पूरे मामले में महत्वपूर्ण लिंक हैं। इसका अनुमान आयकर विभाग द्वारा उन पर लगाए गए कर बकाया के आकलन से लगाया जा सकता है। आयकर विभाग ने जहां रहीमा खान पर 49 करोड़ रुपए के कर बकाये का अनुमान लगाया है, वहीं चंद्रिका के खिलाफ विभाग ने 2008 में 20,540 करोड़ रुपए के कर बकाए की मांग बनाई गई थी।

दिलचस्प तथ्य यह है कि चंद्रिका पर बकाया कर की राशि हसन अली के बाद दूसरे नंबर पर बैठती है। चंद्रिका पर कथित रूप से खान से संबंधित कारोबारी फर्म आरएम इन्वेस्टमेंट एंड ट्रेडिंग कंपनी प्राइवेट लि. से भी जुड़ा होने का आरोप है। इस कंपनी पर 336 करोड़ रुपए का कर बकाया है। जांच अधिकारियों का मानना है कि कई तरह के निवेश और अन्य सौदे इन दोनों महिलाओं की जानकारी में हुए और वे भी इसमें शामिल रहीं। ऐसे में इस पूरे मामले के खुलासे में इन महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका बनती है। जांच से जुड़े सूत्रों ने कहा कि इस पूरे मामले में पत्नियों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। वे अपने पतियों द्वारा किए गए सौदों से सबसे नजदीकी से जुड़ी रहीं। खान और तापड़िया ने कई सौदों और निवेशों में उनके नाम और पहचान का इस्तेमाल किया।

सूत्रों ने दावा किया कि उनकी भूमिका से साबित हो जाएगा कि हर सफल आदमी के पीछे किसी औरत का हाथ होता है। यह मामला सफलता का नहीं, बल्कि अवैध धन, कर चोरी और मनी लांड्रिंग का है। आयकर विभाग के 2008 के आकलन आदेश के अनुसार खान की पत्नी रहीमा ने कई इम्पोर्टिड कारों की खरीद, स्विटजरलैंड और अन्य यूरोपीय देशों की यात्रा की बात भी स्वीकार की है। इसके अलावा उसने कई घोड़ों, पुणे में शानदार मकान तथा मुंबई में फ्लैट की बात भी स्वीकार की है।

आदेश में कहा गया है कि विभाग को 2007 में की गई जांच से पहले तक इनके बारे में जानकारी नहीं दी गई थी। आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय, भारतीय रिजर्व बैंक और महाराष्ट्र पुलिस के आर्थिक अपराध शाखा के दल को खान और उसकी पत्नी के एबीएन एमरो, पुणे बैंक में दो खातों की जानकारी भी मिली है। इन खातों में 2008 में 1.17 करोड़ रुपए की राशि जमा थी।
साभार: www.livehindustan.com, 27-03-11
http://www.livehindustan.com/news/desh/national/article1-Hasan-alis-wife-is-also-a-big-tax-edader-39-39-164021.html

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