उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव के शासनकाल में अनाज घोटाले की बात उजागर होने के बाद इस मसले पर राजनीतिक लड़ाई शुरू हो गई है। केंद्र सरकार ने इस घोटाले की जिम्मेदारी पूरी तरह तत्कालीन सीएम मुलायम पर डाल दी है। हमारे सहयोगी चैनल टाइम्स नाउ के मुताबिक , देश के किसी गरीब राज्य से यह अब तक का सबसे बड़ा घोटाला माना जा रहा है। लगभग 2 लाख करोड़ रुपये के इस घोटाले में गरीबों के लिए तय अनाज को जानबूझकर और एक प्रक्रिया के तहत खुले बाजार में देश और विदेश में बेचा गया। यह घोटाला 7 साल तक चला और इसमें 5,000 एफआईआर भी दर्ज हुईं।
याचिकाकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी ने कहा कि लंबे समय से इस मामले को दबाने की कोशिश हो रही थी। उनके मुताबिक, 'यह घोटाला 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन और कॉमनवेल्थ घोटाले से भी बड़ा है। इस घोटाले पर केंद्र का रिएक्शन इलाहाबाद हाई कोर्ट की ओर से इस मसले पर सख्ती दिखाने के बाद आया है।'
कोर्ट ने शुक्रवार को यूपी की जांच एजेंसियों को आदेश दिया था कि वे इस केस को सीबीआई के सुपुर्द करें और जांच का काम 6 महीने के भीतर पूरा किया जाए। माना जाता है कि यह घोटाला मुलायम के कार्यकाल में 2003 और 2007 के बीच अंजाम दिया गया।
कोर्ट की लखनऊ बेंच ने शुक्रवार को अपने आदेश में उच्च अधिकारियों को गरीबों से उनका निवाला छीनने के लिए सख्त टिप्पणी की थी। कोर्ट ने कहा कि बेशक पहली नजर में साफ दिखता है कि गरीबों के लिए तय अनाज की स्मगलिंग की गई। बड़ी अथॉरिटी की मदद के बिना ऐसा करना मुमकिन नहीं था। अनाज को जिस तरह देश के दूरदराज इलाकों में मालगाड़ियों से पहुंचाया गया , उससे भी यह बात साबित होती है। कोर्ट ने कहा कि जब करप्शन देश के विकास पर बड़ी चोट कर रहा हो, तब जुडिशरी मूक दर्शक नहीं बन सकती।
साभार
नवभारत टाइम्स, 07 Dec 2010
याचिकाकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी ने कहा कि लंबे समय से इस मामले को दबाने की कोशिश हो रही थी। उनके मुताबिक, 'यह घोटाला 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन और कॉमनवेल्थ घोटाले से भी बड़ा है। इस घोटाले पर केंद्र का रिएक्शन इलाहाबाद हाई कोर्ट की ओर से इस मसले पर सख्ती दिखाने के बाद आया है।'
कोर्ट ने शुक्रवार को यूपी की जांच एजेंसियों को आदेश दिया था कि वे इस केस को सीबीआई के सुपुर्द करें और जांच का काम 6 महीने के भीतर पूरा किया जाए। माना जाता है कि यह घोटाला मुलायम के कार्यकाल में 2003 और 2007 के बीच अंजाम दिया गया।
कोर्ट की लखनऊ बेंच ने शुक्रवार को अपने आदेश में उच्च अधिकारियों को गरीबों से उनका निवाला छीनने के लिए सख्त टिप्पणी की थी। कोर्ट ने कहा कि बेशक पहली नजर में साफ दिखता है कि गरीबों के लिए तय अनाज की स्मगलिंग की गई। बड़ी अथॉरिटी की मदद के बिना ऐसा करना मुमकिन नहीं था। अनाज को जिस तरह देश के दूरदराज इलाकों में मालगाड़ियों से पहुंचाया गया , उससे भी यह बात साबित होती है। कोर्ट ने कहा कि जब करप्शन देश के विकास पर बड़ी चोट कर रहा हो, तब जुडिशरी मूक दर्शक नहीं बन सकती।
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नवभारत टाइम्स, 07 Dec 2010
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