राजधानी में बीते कुछ सालों में दर्जन भर से ज्यादा ऑनलाइन सर्वे कंपनियां पब्लिक के करीब एक हजार करोड़ रुपए समेटकर चंपत हो गईं और पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। दिखावे के लिए गिरफ्तारियां हुईं, लेकिन पब्लिक की डूबी रकम दिलाने के लिए कुछ नहीं किया। दर्जनों शिकायतों को पुलिस ने सिर्फ यह कहकर रफा दफा कर दिया कि पब्लिक ने अपनी मर्जी से कंपनियों में रकम फंसाई अब पुलिस क्या करे?
नई दिल्ली में स्पीक एशिया के रामसुमिरन पाल की गिरफ्तारी के बाद बाकी सर्वे कंपनियों के निवेशकों में भी उम्मीद जागी है। साथ ही राजधानी में स्पीक एशिया का कारोबार देखने वाले दस से ज्यादा फ्रेंचाइजी वालों की धड़कनें भी बढ़ गई हैं। क्योंकि कार्रवाई का शिकंजा उन तक भी पहुंच सकता है।
वर्ष 2010 में स्पीक एशिया को मिल रहे भारी रेस्पॉन्स को देखकर राजधानी में कुकुरमुत्ते की तरह रामसर्वे कंपनी, जीबी एशिया, अलगल्फ, एरोलाइट, यूनी मैक्सल, एविशो पैसिफिक, यूके एड वर्ल्ड समेत एक दर्जन से ज्यादा कंपनियां सामने आईं। भारी-भरकम मुनाफा दिखाकर इन कंपनियों ने निवेशकों को जमकर ठगा।
जिन्होंने शुरुआत में रकम लगाई उनका पैसा निकाल आया लेकिन जिनकी चेन बनाई उनकी रकम डूब गई। जब एक-एक करके कंपनियां भागने लगीं तो लोगों की शिकायतें सामने आने लगीं। गोमतीनगर, नाका, हजरतगंज, कृष्णानगर और आशियाना में हजारों लोगों ने शिकायतें की, मुकदमा सिर्फ हजरतगंज, नाका और कृष्णानगर में ही दर्ज हुए। रिपोर्ट दर्ज करने के बाद भी पुलिस कार्रवाई से कतराती रही।
पुलिस ने किया था खेल
जीबी एशिया के संचालक सिराजुद्दीन अंसारी को बचाने के लिए हजरतगंज पुलिस ने खेल भी किया। लेकिन कोर्ट की फटकार ने पुलिस का पूरा खेल बिगाड़ दिया। जीबी एशिया के मालिक को रिमांड पर लेने के लिए मुंबई और गोवा पुलिस ने भी हजरतगंज पुलिस से संपर्क किया था। उसके खिलाफ वहां भी मामले दर्ज थे। संचालक के हाथ लगने के बाद भी पुलिस पब्लिक की रकम नहीं दिला पाई। न ही पुलिस ने ये जानने का प्रयास किया कि निवेशकों की डूबी रकम का कहां निवेश किया गया।
नाका में एविशो कंपनी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई। पुलिस ने निचले स्तर के तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया। लेकिन उसके मालिक अनिल द्विवेदी को पुलिस आज तक नहीं तलाश पाई या कह सकते हैं कि तलाशने की कोशिश नहीं की। कृष्णानगर और आशियाना के मामले में भी पुलिस का कुछ ऐसा ही रुख रहा।
निवेशकों की डूबी रकम
स्पीक एशिया - करीब 175 करोड़
जीबी एशिया - करीब 100 करोड़
एविशो - करीब 75 करोड़
रामसर्वे- 120 करोड़
साभार
नवभारत टाइम्स | Nov 28, 2013, 03.41AM IST
लखनऊ
http://navbharattimes.indiatimes.com/lucknow/crime/articleshow/26486439.cms
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