शारदा समूह के प्रमुख सुदीप्तो सेन को शुक्रवार को तीन साल के कारावास की
सजा सुनाई गई। यह सजा उन्हें अपने कर्मचारियों के भविष्य निधि के बकाए का भुगतान
नहीं करने के लिए सुनाई गई है। बिधाननगर अदालत की मैजिस्ट्रेट स्वाति मुखोपाध्याय
ने सेन पर 10 हजार रुपए का जुर्माना भी
लगाया। अदालत ने कहा कि जुर्माने की राशि का भुगतान न करने पर सेन को छह महीने की
अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।
भविष्य निधि के बकाए का भुगतान नहीं करने के मामले में सेन को आईपीसी की
धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात) का दोषी
पाया गया। सेन पर आरोप था कि उन्होंने कर्मचारियों की भविष्य निधि जमा करने में
अनियमितता की। उन्हें आईपीसी की धारा 120 (आपराधिक साजिश) के
तहत भी दोषी पाकर तीन साल की सजा सुनाई गई । दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी। उनकी सजा
की अवधि की तारीख अप्रैल 2013 में हुई उनकी गिरफ्तारी के दिन
से गिनी जाएंगी।
पिछले साल सुदीप्तो सेन के खिलाफ 3.68 लाख रुपए की भविष्य निधि राशि नहीं जमा करने का मामला दर्ज किया गया था।
सेन को पिछले साल सुर्खियों में आए अरबों रुपए के चिट फंड घोटाले का मुख्य
षडयंत्रकारी भी माना जा रहा है। सेन ने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया है कि कंपनी के
अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के रूप में उन्होंने पीएफ का बकाया जमा नहीं किया।
आपको बता दें कि सेन के खिलाफ करोड़ों रुपए के चिटफंड घोटाले के मामले में
सैकडों केस दर्ज हैं, जिनमें यह पहला
केस है, जिसमें उन्हें दोषी करार देकर सजा सुनाई गई है।
गौरतलब है कि सेन का शारदा समूह अलग-अलग नाम से पोंजी योजनाएं चलाता था।
साभार
एजेंसियां | Feb 21, 2014, 06.41PM IST कोलकाता
http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/30798796.cms
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