मुंबई।। सरकार ने कलेक्टिव
इन्वेस्टमेंट स्कीमों को मार्केट रेग्युलेटर के अधिकार क्षेत्र में लाने
के लिए हाल ही में सेबी ऐक्ट में संशोधन के लिए ऑर्डिनेंस पास किया था। अब
उसने सेबी के कनसेंट ऑर्डर से संबंधित नियमों में पुरानी तारीख से बदलाव
(रेट्रोस्पेक्टिव अमेंडमेंट) किए हैं, जिससे समूची कनसेंट ऑर्डर प्रोसेस को
कानूनी मान्यता हासिल हो सकेगी।
कनसेंट ऑर्डर एक तरह का आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट जैसा होता है जो सिक्योरिटीज लॉ का उल्लंघन मामले में पास किया जाता है। ऐसे मामलों को तेजी से निपटाने के लिए 2007 में यह व्यवस्था शुरू की गई थी। लेकिन सिक्यूरिटीज मामलों के वकीलों ने आपत्ति जताते हुए कहा कि कानूनी मान्यता के बगैर नियमों के उल्लंघन मामलों का निपटारा किया जाना सही नहीं है।
असल में कनसेंट ऑर्डर सर्कुलर को खारिज करने के लिए 2011 में दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिका के पक्ष में दलील दी गई थी कि इनकम टैक्स या कस्टम्स डिपार्टमेंट की तरह इसको कानूनी मान्यता नहीं है। इन दोनों डिपार्टमेंट के सेटलमेंट को तो कानूनी मान्यता हासिल है। लीगल एक्सपर्ट्स के मुताबिक, 'रेट्रोस्पेक्टिव अमेंडमेंट फिटिंग के हिसाब सूट की कटाई करने जैसा है। इससे पहले पास हुए कनसेंट ऑर्डर दोबारा खोला नहीं जा सकेंगे।' अमरचंद मंगलदास ऐंड सुरेश ए श्रॉफ ऐंड कंपनी के मैनेजिंग पार्टनर सिरिल श्रॉफ कहते हैं, 'हालिया ऑर्डिनेंस से कनसेंट प्रोसेस कानूनी तौर पर पाक हो गया है। कनसेंट प्रोसेस को कानूनी मान्यता मिलने से मामलों का बिना एक्सपोजर के क्लोजर हो सकेगा।'
सेबी ने विवादों के जल्द निपटारे के लिए छह साल पहले कनसेंट ऑर्डर व्यवस्था शुरू की थी। उसने यह व्यवस्था अमेरिकी सिक्योरिटीज एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) के सेटलमेंट सिस्टम की तर्ज पर शुरू की थी। अमेंडमेंट के मुताबिक, 'भले ही अब तक किसी दूसरे कानून की कोई चीज लागू हो, सेबी एक्ट के सेक्शन 11 के तहत अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ कोई कार्यवाही शुरू हुई है या शुरू हो सकती है, वह शुरू हो चुकी या शुरू होने वाली कार्यवाही के सेटलमेंट के लिए (बोर्ड) सेबी को लिखित में आवेदन दे सकता है।' प्रेजिडेंट प्रणव मुखर्जी ने पिछले हफ्ते ऑर्डिनेंस पर अपनी मंजूरी की मुहर लगाई थी।
अलायंस कॉरपोरेट लॉयर्स में मैनेजिंग पार्टनर और सेबी के पूर्व डायरेक्टर आर एस लूना कहते हैं, 'कनसेंट ऑर्डर की कानूनी मान्यता को लेकर अनिश्चय की स्थिति थी क्योंकि इसको लेकर सेबी ऐक्ट में कोई विशेष प्रावधान नहीं है। एसईसी में ऐडमिनिस्ट्रेटिव रूल के तहत वैधानिक व्यवस्था की गई है। सेबी कनसेंट ऑर्डर पास तो कर रहा है लेकिन उसकी कानूनी मान्यता दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित याचिका पर सुनवाई के अंतिम नतीजों पर निर्भर करेगी।'
साभार
इकनॉमिक टाइम्स | Jul 23, 2013, 10.14AM IST रीना जकारिया
http://navbharattimes.indiatimes.com/business/share-market/share-news/consent-orders-get-legal-sanctity-as-govt-amends-sebi-act-restospectively/articleshow/21254147.cms
कनसेंट ऑर्डर एक तरह का आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट जैसा होता है जो सिक्योरिटीज लॉ का उल्लंघन मामले में पास किया जाता है। ऐसे मामलों को तेजी से निपटाने के लिए 2007 में यह व्यवस्था शुरू की गई थी। लेकिन सिक्यूरिटीज मामलों के वकीलों ने आपत्ति जताते हुए कहा कि कानूनी मान्यता के बगैर नियमों के उल्लंघन मामलों का निपटारा किया जाना सही नहीं है।
असल में कनसेंट ऑर्डर सर्कुलर को खारिज करने के लिए 2011 में दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिका के पक्ष में दलील दी गई थी कि इनकम टैक्स या कस्टम्स डिपार्टमेंट की तरह इसको कानूनी मान्यता नहीं है। इन दोनों डिपार्टमेंट के सेटलमेंट को तो कानूनी मान्यता हासिल है। लीगल एक्सपर्ट्स के मुताबिक, 'रेट्रोस्पेक्टिव अमेंडमेंट फिटिंग के हिसाब सूट की कटाई करने जैसा है। इससे पहले पास हुए कनसेंट ऑर्डर दोबारा खोला नहीं जा सकेंगे।' अमरचंद मंगलदास ऐंड सुरेश ए श्रॉफ ऐंड कंपनी के मैनेजिंग पार्टनर सिरिल श्रॉफ कहते हैं, 'हालिया ऑर्डिनेंस से कनसेंट प्रोसेस कानूनी तौर पर पाक हो गया है। कनसेंट प्रोसेस को कानूनी मान्यता मिलने से मामलों का बिना एक्सपोजर के क्लोजर हो सकेगा।'
सेबी ने विवादों के जल्द निपटारे के लिए छह साल पहले कनसेंट ऑर्डर व्यवस्था शुरू की थी। उसने यह व्यवस्था अमेरिकी सिक्योरिटीज एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) के सेटलमेंट सिस्टम की तर्ज पर शुरू की थी। अमेंडमेंट के मुताबिक, 'भले ही अब तक किसी दूसरे कानून की कोई चीज लागू हो, सेबी एक्ट के सेक्शन 11 के तहत अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ कोई कार्यवाही शुरू हुई है या शुरू हो सकती है, वह शुरू हो चुकी या शुरू होने वाली कार्यवाही के सेटलमेंट के लिए (बोर्ड) सेबी को लिखित में आवेदन दे सकता है।' प्रेजिडेंट प्रणव मुखर्जी ने पिछले हफ्ते ऑर्डिनेंस पर अपनी मंजूरी की मुहर लगाई थी।
अलायंस कॉरपोरेट लॉयर्स में मैनेजिंग पार्टनर और सेबी के पूर्व डायरेक्टर आर एस लूना कहते हैं, 'कनसेंट ऑर्डर की कानूनी मान्यता को लेकर अनिश्चय की स्थिति थी क्योंकि इसको लेकर सेबी ऐक्ट में कोई विशेष प्रावधान नहीं है। एसईसी में ऐडमिनिस्ट्रेटिव रूल के तहत वैधानिक व्यवस्था की गई है। सेबी कनसेंट ऑर्डर पास तो कर रहा है लेकिन उसकी कानूनी मान्यता दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित याचिका पर सुनवाई के अंतिम नतीजों पर निर्भर करेगी।'
साभार
इकनॉमिक टाइम्स | Jul 23, 2013, 10.14AM IST रीना जकारिया
http://navbharattimes.indiatimes.com/business/share-market/share-news/consent-orders-get-legal-sanctity-as-govt-amends-sebi-act-restospectively/articleshow/21254147.cms