Friday, September 21, 2012

पीएसीएल का 7000 करोड़ का घोटाला - भाग 1


पीएसीएल नामक एक चिटफंड कंपनी है जो पिछले काफी समय से अपने निवेशकों को तो बेवकूफ बना ही रही है, भारत सरकार की भी तमाम एजंसियों की आंखों में धूल झोंक रही है। इस कंपनी ने पिछले कुछ अरसे में जो घोटाला किया है, उसकी जानकारी सबको है। लेकिन एक बात जो निवेशक नहीं जानते हैं, वो ये है कि इस कंपनी ने अपने घोटालों पर परदा डालने के लिए कई तरह के प्रपंच रचे हैं।

इस कंपनी की हरकतों का पर्दाफाश करने के लिए स्कैम्सलीक ने इस कंपनी के बहुत सारे दस्तावेज हासिल कर विशेषज्ञों की मदद से खंगाले हैं। इन दस्तावेजों से यह साफ हो जाता है कि इस कंपनी ने तकरीबन 7000 करोड़ रुपए का घोटाला किया है।

यह कंपनी बताती है उस पर सेबी के नियम कायदे लागू नहीं होते हैं, यह भी बताती है कि उस पर इरडा के नियमों का पालन करने की बाध्यता भी नहीं है। लेकिन सच तो यह है कि जिस तरह का कामकाज यह कंपनी करती है, वह पूरी तरह से इन रेगुलेटरी बाडीज के नियमों के तहत ही आता है। इस बारे में विशेषज्ञों की राय यही है कि इस कंपनी ने बड़े पैमाने पर अपनी ही कंपनी के अंदर ऐसे गोलमाल किए हैं, जिनके बाहर आने पर इस कंपनी का कामकाज पूरी तरह से ठप्प हो जाएगा। 

इस कंपनी के कुछ एजंटों, फील्ड आफीसरों से बात करने और उनके इंटरव्यू करने पर यह साफ हो गया है कि कंपनी पूरी तरह से एलएमएल कंपनियों की तरह ही काम कर रही है। इतना ही नहीं, इस कंपनी द्वारा अपनी कथित भूखंड बेचने की व्यवस्था भी बैंक की तरह ही एफडी और आरडी बेचने के नाम पर ही होती है।

हमारी जांच में यह सामने आया है कि इस कंपनी के जितने भी एजंट जब भी कोई भूखंड बेचने की बात करते हैं तो  वे यह नहीं कहते हैं कि जमीन का टुकड़ा बेच रहे हैं, वे यही कहते हैं कि आरडी या एफडी की स्कीम दे रहे हैं। इसका साफ मतलब यही है कि यह कंपनी अपने एजंटों को यही सिखाती है कि वे भोले-भाले निवेशकों को एफडी और आरडी के नाम से बेवकूफ बनाएं। स्कैम्सलीक अब एक के बाद एक इस कंपनी के तमाम राज फाश करेगा। बस इंतजार कीजिए अगली कड़ी का। 

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